चाँद का मुँह टेढ़ा है
चाँद का मुँह टेढ़ा है चाँद का मुँह टेढ़ा है हिंदी :– (सप्रसंग व्याख्या) कविता :– ” चाँद का मुँह टेढ़ा है ” कवि :- (मुक्तिबोध) पद्याशं :– ” भूल – गलती आज बैठी है जिरहबख्तर पहन कर तख्त पर दिल के चमकते हैं खड़े हथियार उसके दूर तक , आँखें चिलती हैं नुकीले तेज … Read more