हमारे मौलिक अधिकार एवं कर्तव्य

हमारे मौलिक अधिकार एवं कर्तव्य

हमारे मौलिक अधिकार एवं कर्तव्य

हमारे संविधान में व्यक्ति के भौतिक , नैतिक बौद्धिक एवं आध्यात्मिक रूप से चहुँमुखी विकास के लिए अधिकारों की व्यवस्था की गई है। यह अधिकार सरकार की कठोर नियमों के विरुद्ध नागरिकों की आजादी की सुरक्षा करते हैं।
‘ अधिकार ‘ संविधान के अंतर्गत नागरिकों को प्राप्त होने वाली वह अनुकूल परिस्थितियां और अवसर है , जिनसे वे अपना सर्वांगीण विकास कर सके ।
हमारे संविधान में नागरिकों को 6 मौलिक अधिकार प्रदान किए गए हैं । जिनकी सुरक्षा के लिए न्यायालय की शरण ली जा सकती है।
* हमारे मौलिक अधिकार :–
● सन् 1928 में ‘नेहरू रिपोर्ट’ में मौलिक अधिकारों का उल्लेख किया गया था।
● संविधान सभा ने अपने ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ के अनुरूप ही संविधान में मौलिक अधिकारों का प्रावधान किया गया।
● व्यक्तिगत का सर्वांगीण विकास एवं जीवन की सुरक्षा मौलिक अधिकारों पर निर्भर है।
● व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का हनन होने पर वह उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय में सीधे शिकायत कर सकता है।
1. समानता का अधिकार :–
● देश के प्रत्येक नागरिक को संविधान में कानून के समक्ष समान माना गया है। तथा सभी को कानून का सम्मान संरक्षण मिलता है।
● संविधान के अनुसार राज्य अर्थात सरकार किसी भी व्यक्ति से धर्म, नस्ल, जाति , लिंग या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव नहीं करेगी।
● समाज में छुआछूत को दंडनीय अपराध घोषित किया गया है। इस अधिकार द्वारा सामाजिक उपाधियों को समाप्त कर दिया गया है ।
2. स्वतंत्रता का अधिकार :–
● संविधान के द्वारा भारत के प्रत्येक नागरिक को विभिन्न प्रकार की स्वतंत्रताएँ प्रदान की गई है।
इनमें प्रमुख है :–
1. भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
2. शांतिपूर्वक तरीके से सम्मेलन या सभा करने की स्वतंत्रता
3. राजनीतिक, सामाजिक ,सांस्कृतिक तथा आर्थिक संगठन या संघ बनाने की स्वतंत्रता
4. भारत में अबाध भ्रमण और निवास की स्वतंत्रता
5. व्यापार, व्यवसाय तथा रोजगार करने की स्वतंत्रता
और 6. व्यक्ति को अपनी जीवन रक्षा तथा बचाव करने की कानूनी स्वतंत्रता ।
● 86 वें संवैधानिक संशोधन द्वारा 2002 में शिक्षा को कानूनी अधिकार घोषित करके 6 से 14 वर्ष तक के सभी बच्चों को नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार दिया गया है।
3. शोषण के विरुद्ध अधिकार :–
● हमारे संविधान में सामाजिक असमानता , दासता एवं बेगारी से मुक्ति के लिए सभी नागरिकों को अधिकार दिया गया है।
● इसके अंतर्गत मानव व्यापार यानी स्त्री- पुरुषों का क्रय-विक्रय , जबरदस्ती किसी से काम लेना या बेगार लेना, एवं 14 वर्ष से कम आयु के बालकों को जोखिम भरे कार्यों में लगाना दंडनीय अपराध माना गया है।
4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार :–
● हमारा देश एक पंथनिरपेक्ष राज्य है । प्रत्येक नागरिक को अपनी इच्छा अनुसार किसी भी धर्म को मानने, उस पर आचरण करने और प्रचार करने का समान अधिकार है ।
● सभी धर्म एवं संप्रदायों को अपनी संस्थाओं की स्थापना एवं उनका प्रबंधन करने की स्वतंत्रता है ।
5. संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार :–
● इस अधिकार में नागरिकों को अपनी विशिष्ट भाषा, लिपि और संस्कृति बनाए रखने का अधिकार है।
● भाषायी एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों को अपनी भाषा और संस्कृति को बनाए रखने के साथ-साथ उनके संवर्धन के लिए शिक्षण संस्थाएं स्थापित करने एवं उनकी देखभाल करने का अधिकार दिया गया है ।
6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार :–
● इस अधिकार को डॉक्टर भीमराव अंबेडकर ने “संविधान की आत्मा और हृदय ” कहा है। क्योंकि नागरिकों के मौलिक अधिकारों की घोषणा तब तक व्यर्थ है जब तक कि उसे प्रभावी बनाने का कोई साधन न दिया गया हो ।
● यह अधिकार अन्य मौलिक अधिकारों को प्रभावी बनाने का एक साधन है ।
● मौलिक अधिकारों की रक्षा का दायित्व सर्वोच्च न्यायालय और राज्यों के उच्च न्यायालयों को दिया गया है।
● जब नागरिक के अपने मौलिक अधिकारों का हनन होता है, या फिर उनके उपयोग में बाधा आती है, तो वे अधिक इस अधिकार के अंतर्गत न्यायालय की शरण ले सकते हैं।
● विशेष परिस्थितियों (आपातकाल) में मौलिक अधिकारों को सीमित या निलंबित भी किया जा सकता है।
* हमारे मौलिक कर्तव्य :–
अधिकार एवं कर्तव्य एक दूसरे के पूरक है। जब हम अधिकारों की मांग करते हैं तो हमें अपने कर्तव्य का पालन भी करना चाहिए। कर्तव्य के बिना हमारे अधिकार खोखले हैं ।
जैसे — वन , नदी, जल आदि हमारे समाज की प्राकृतिक धरोहर है। हमें इनकी रक्षा अवश्य ही करनी चाहिए। इसी प्रकार शिक्षा प्राप्त करना हमारे बच्चों का मौलिक अधिकार है। तो उनके अभिभावकों का भी कर्तव्य है कि, वे अपने बच्चों को अनिवार्य रूप से स्कूल भेजें।
* हमारे संविधान द्वारा नागरिकों के 11 मौलिक कर्तव्य निर्धारित किए गए हैं, जो निम्नांकित है :–
1. संविधान का पालन करें और उसके आदर्शो , संस्थाओं, राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करें।
2. स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आंदोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखें और उनका पालन करें ।
3. भारत की संप्रभुता , एकता और अखंडता की रक्षा करें और उसे अक्षुण्ण बनाए रखें।
4. देश की रक्षा करें और आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करें ।
5. भारत के सभी लोगों में समरसता और सामान भ्रातत्व की भावना का निर्माण करें । जो कि पंथ, भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभावों से अलग हो। ऐसी प्रथाओं का त्याग करें जो महिलाओं के सम्मान के विरुद्ध हो ।
6. हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका परिरक्षण करें।
7. प्राकृतिक पर्यावरण जिसके अंतर्गत वन, झील, नदी और वन्य जीव हैं, उनकी रक्षा करें और उनका संवर्धन करें, तथा प्राणी मात्र के प्रति दया भाव रखें।
8. वैज्ञानिक दृष्टिकोण , मानवतावाद और ज्ञानार्जन तथा सुधार की भावना का विकास करें ।
9. सार्वजनिक संपत्ति को सुरक्षित रखें और हिंसा से दूर रहें ।
10.व्यक्तिगत और सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का प्रयास करें , जिससे राष्ट्र निरंतर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की ऊँचाईयों को छू सकें।
11. 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को उनके अभिभावक अथवा संरक्षक या प्रतिपालक जैसी भी स्थिति हो, शिक्षा के अवसर प्रदान करें।