लोकतंत्र
लोकतंत्र
प्रश्न 1 डेमोक्रेसी ग्रीक भाषा के किन दो शब्दों के संयोग से बना है और उसका अर्थ क्या है ?
उत्तर – अंग्रेजी शब्द डेमोक्रेसी का हिंदी अनुवाद है “लोकतंत्र”। डेमोक्रेसी ग्रीक भाषा के 2 शब्दों डेमोस तथा क्रेटिया के सहयोग से बना है। यद्यपि ‘डेमोस’ का मूल अर्थ है ‘भीड़’, किंतु आधुनिक काल में इसका अर्थ ‘जनता’ से लिया जाने लगा है। और ‘क्रेटिया’ का अर्थ है ‘शक्ति’ इस प्रकार शब्दार्थ की दृष्टि से डेमोक्रेसी का अर्थ है “जनता की शक्ति”। अतः डेमोक्रेसी का अर्थ है जनता की शक्ति पर आधारित शासन तंत्र।
इसमें तीन अन्तः संबंधित अर्थ निहित है-
(1) यह निर्णय लेने की एक विधि है।
(2) यह निर्णय लेने के सिद्धांतों का एक समूह है।
(3) यह आदर्शात्मक मूल्यों से संबंधित अवधारणा है।
प्रश्न 2 लोकतंत्र के विभिन्न रूप कितने प्रकार के हैं ?
उत्तर – लोकतंत्र के विभिन्न रूप चार प्रकार के हैं –
(1) राजनीतिक लोकतंत्र
(2) सामाजिक लोकतंत्र
(3) आर्थिक लोकतंत्र
(4) नैतिक लोकतंत्र
प्रश्न 3 राजनीतिक लोकतंत्र व उदारवादी लोकतंत्र किसे कहते हैं ?
उत्तर – राजनीतिक लोकतंत्र को अतीत में व्यक्तिवादी लोकतंत्र कहा जाता था किंतु आधुनिक युग में इसे उदारवादी लोकतंत्र कहा जाता है।
प्रश्न 4 राजनीतिक लोकतंत्र के कितने रूप हैं ?
उत्तर – राजनीतिक लोकतंत्र के दो रूप हैं-
(1) राज्य के एक प्रकार के रूप में लोकतंत्र
(2) शासन के एक प्रकार के रूप में लोकतंत्र।
प्रश्न 5 राजनीतिक लोकतंत्र के कितने अंग के रूप में लोकतांत्रिक शासन के कितने उपभेद हैं ?
उत्तर – (1) संसदीय लोकतंत्र
(2) अध्यक्षात्मक अथवा प्रतिनिधि लोकतंत्र
यह उल्लेखनीय है कि आधुनिक युग में प्रतिनिधि लोकतंत्र के 2 रूप प्रचलित हैं (1) संसदीय लोकतंत्र (2) अध्यक्षात्मक लोकतंत्र।
प्रश्न 6 लोकतांत्रिक राज्य एवं लोकतांत्रिक शासन अर्थात संपूर्ण राजनीतिक लोकतंत्र की आधारभूत मान्यताएं क्या है ?
उत्तर – (1) राजनीतिक लोकतंत्र उदारवादी संविधानवाद में विश्वास करता है।
(2) यह प्रभुसत्ता का निवास जनता में मानता है।
(3) राजनीतिक लोकतंत्र का सैद्धांतिक पक्ष लोकतांत्रिक राज्य है और इसका व्यावहारिक पक्ष लोकतांत्रिक शासन है।
(4) जनता शासन (सरकार) को नियुक्त करती है, उस पर नियंत्रण करती है तथा उसे हटा भी सकती है।
प्रश्न 7 व्यवहार में सामाजिक लोकतंत्र की स्थापना के लिए कौनसी 2 बातें आवश्यक है ?
उत्तर – 1 धर्म, जाति, नस्ल, भाषा, लिंग, धन आदि के आधार पर समाज में मौजूद विशेषाधिकारों की व्यवस्था का अंत किया जाये।
2 सभी व्यक्तियों को सामाजिक प्रगति के समान अवसर प्रदान किए जाये।
प्रश्न 8 आर्थिक लोकतंत्र क्या है ?
उत्तर अर्थव्यवस्था के एक प्रकार के रूप में लोकतंत्र को ‘आर्थिक लोकतंत्र’ कहा जाता है।
प्रश्न 9 नैतिक लोकतंत्र से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – कुछ विद्वानों ने लोकतंत्र को एक नैतिक व आध्यात्मिक जीवन दर्शन के रूप में स्वीकार किया है। लोकतंत्र के प्रति इस नैतिक दृष्टिकोण को ही नैतिक लोकतंत्र कहा जाता है।
प्रश्न 10 लोकतंत्र के परंपरागत उदारवादी सिद्धांत की आधारभूत मान्यतायें एवं लक्षण क्या है ?
उत्तर – (1) व्यक्ति बुद्धिमान प्राणी है, अतः अपना हित-अहित समझने की क्षमता रखता है।
(2) सभी व्यक्ति मूलतः समान है।
(3) शासन का गठन उदारवादी एवं लोकतांत्रिक संविधान के अनुसार होना चाहिए अर्थात सीमित शासन के सिद्धांत का पालन किया जाना चाहिए।
(4) निश्चित अवधि के बाद स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव होने चाहिए और एक से अधिक राजनीतिक दल होने चाहिए।
प्रश्न 11 लोकतांत्रिक समाजवाद से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – लोकतंत्र का समाजवादी सिद्धांत लोकतंत्र के जिस स्वरुप पर बल देता है, उसे प्रायः लोकतांत्रिक समाजवाद भी कहा जाता है।
प्रश्न 12 प्रत्यक्ष लोकतंत्र किसे कहते हैं ?
उत्तर प्रत्यक्ष लोकतंत्र के अंतर्गत जनता स्वयं प्रत्यक्ष रूप से राज्य की प्रमुख शक्ति को पूर्ण प्रयोग करती है। वह नीति संबंधी फैसले लेती है, कानून बनाती है तथा प्रशासनिक अधिकारियों को नियुक्त करती हैं।
प्रश्न 13 अप्रत्यक्ष लोकतंत्र किसे कहते हैं ?
उत्तर – अप्रत्यक्ष लोकतंत्र इसके अंतर्गत जनता स्वयं प्रत्यक्ष रूप से शासन की शक्ति का प्रयोग नहीं करती है, अपितु अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से प्रभुत्व शक्ति का प्रयोग करती है।
प्रश्न 14 लोकतंत्र की प्रमुख विशेषताएं क्या है ?
उत्तर –
(1) जनता का शासन –
शासन की एक प्रणाली के रूप में लोकतंत्र संपूर्ण जनता का शासन होता है। ‘जनता’ का अर्थ संपूर्ण जनसमूह एवं प्रत्येक व्यक्ति से है। इस प्रकार यह किसी विशेष नस्ल, भाषा, संस्कृति आदि से संबंधित वर्ग का शासन नहीं है।
(2) जनता द्वारा निर्मित शासन –
लोकतंत्र में सरकार का निर्माण जनता द्वारा किया जाता है। इसमें जनता अपने प्रतिनिधि चुनती हैं और वे प्रतिनिधि सरकार का निर्माण करते हैं।
(3) लोकतंत्र शासन एक साधन है, साध्य नहीं – लोकतंत्र में शासन को कभी भी साध्य नहीं माना जाता है, अपितु शासन को एक साधन माना जाता है। वास्तव में लोकतंत्र में शासन निम्नलिखित साध्यों की प्राप्ति का साधन माना जाता है –
(1) व्यक्ति के स्वतंत्रता एवं गौरव की रक्षा
(2) सार्वजनिक हित की वृद्धि।
प्रश्न 15 आधुनिक विश्व में प्रतिनिधि प्रजातंत्र के दो मुख्य रूप कौनसे हैं ?
उत्तर – संसदात्मक शासन तथा अध्यक्षात्मक शासन। प्रथम का आदर्श उदाहरण संयुक्त राज्य अमेरिका की शासन प्रणाली है। स्वीटजरलैंड एक ऐसा देश है जिसमें संघीय स्तर पर संसदात्मक एवं अध्यक्षात्मक शासन प्रणालियों के मिश्रित रूप को अपनाया गया है ।
प्रश्न 16 राजनीतिक दलों का निर्माण किसके हित में होता है ?
उत्तर – राजनीतिक दलों का निर्माण राष्ट्र हित में होता है ।
प्रश्न 17 राज्यों ने युद्ध में कौनसी नीति को अपनाया था ?
उत्तर – ब्रिटेन, फ्रांस आदि यूरोप के लोकतांत्रिक राज्यों ने युद्ध एवं साम्राज्यवाद की नीति को अपनाया था ।
प्रश्न 18 लोकतंत्र की सफलता के लिए क्या जरूरी है ?
उत्तर – लोकतंत्र की सफलता के लिए जरूरी है कि व्यक्तियों के बीच धर्म, जाति, भाषा, रंग, नस्ल, लिंग जन्म आदि के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाये। सभी व्यक्ति कानून के सामने समान माने जाये और उन्हें न्यायालय समान कानूनी संरक्षण दें।
प्रश्न 19 लोकतंत्र की सफलता के लिए क्या आवश्यक है ?
उत्तर – लोकतंत्र की सफलता के लिए जनता का शिक्षित एवं जागरूक होना आवश्यक है। इसके अलावा जब जनता जागरूक होती है तो सरकार की लोकतंत्र विरोधी नीतियों एवं कार्यों का विरोध करने में भी समर्थ होती है।
Lokatantr
prashn 1 demokresee greek bhaasha ke kin do shabdon ke sanyog se bana hai aur usaka arth kya hai ?
uttar – angrejee shabd demokresee ka hindee anuvaad hai “lokatantr”. demokresee greek bhaasha ke 2 shabdon demos tatha kretiya ke sahayog se bana hai. yadyapi demos ka mool arth hai bheed, kintu aadhunik kaal mein isaka arth janata se liya jaane laga hai. aur kretiya ka arth hai shakti is prakaar shabdaarth kee drshti se demokresee ka arth hai “janata kee shakti”. atah demokresee ka arth hai janata kee shakti par aadhaarit shaasan tantr. isamen teen antah sambandhit arth nihit hai- (1) yah nirnay lene kee ek vidhi hai. (2) yah nirnay lene ke siddhaanton ka ek samooh hai. (3) yah aadarshaatmak moolyon se sambandhit avadhaarana hai.
prashn 2 lokatantr ke vibhinn roop kitane prakaar ke hain ?
uttar – lokatantr ke vibhinn roop chaar prakaar ke hain – (1) raajaneetik lokatantr (2) saamaajik lokatantr (3) aarthik lokatantr (4) naitik lokatantr prashn 3 raajaneetik lokatantr va udaaravaadee lokatantr kise kahate hain ? uttar – raajaneetik lokatantr ko ateet mein vyaktivaadee lokatantr kaha jaata tha kintu aadhunik yug mein ise udaaravaadee lokatantr kaha jaata hai.
prashn 4 raajaneetik lokatantr ke kitane roop hain ?
uttar – raajaneetik lokatantr ke do roop hain- (1) raajy ke ek prakaar ke roop mein lokatantr (2) shaasan ke ek prakaar ke roop mein lokatantr.
prashn 5 raajaneetik lokatantr ke kitane ang ke roop mein lokataantrik shaasan ke kitane upabhed hain ?
uttar –
(1) sansadeey lokatantr
(2) adhyakshaatmak athava pratinidhi lokatantr yah ullekhaneey hai ki aadhunik yug mein pratinidhi lokatantr ke 2 roop prachalit hain (1) sansadeey lokatantr (2) adhyakshaatmak lokatantr.
prashn 6 lokataantrik raajy evan lokataantrik shaasan arthaat sampoorn raajaneetik lokatantr kee aadhaarabhoot maanyataen kya hai ?
uttar – (1) raajaneetik lokatantr udaaravaadee sanvidhaanavaad mein vishvaas karata hai. (2) yah prabhusatta ka nivaas janata mein maanata hai. (3) raajaneetik lokatantr ka saiddhaantik paksh lokataantrik raajy hai aur isaka vyaavahaarik paksh lokataantrik shaasan hai. (4) janata shaasan (sarakaar) ko niyukt karatee hai, us par niyantran karatee hai tatha use hata bhee sakatee hai.
prashn 7 vyavahaar mein saamaajik lokatantr kee sthaapana ke lie kaunasee 2 baaten aavashyak hai ?
uttar – 1 dharm, jaati, nasl, bhaasha, ling, dhan aadi ke aadhaar par samaaj mein maujood visheshaadhikaaron kee vyavastha ka ant kiya jaaye. 2 sabhee vyaktiyon ko saamaajik pragati ke samaan avasar pradaan kie jaaye.
prashn 8 aarthik lokatantr kya hai ?
uttar arthavyavastha ke ek prakaar ke roop mein lokatantr ko aarthik lokatantr kaha jaata hai.
prashn 9 naitik lokatantr se kya taatpary hai ?
uttar – kuchh vidvaanon ne lokatantr ko ek naitik va aadhyaatmik jeevan darshan ke roop mein sveekaar kiya hai. lokatantr ke prati is naitik drshtikon ko hee naitik lokatantr kaha jaata hai.
prashn 10 lokatantr ke paramparaagat udaaravaadee siddhaant kee aadhaarabhoot maanyataayen evan lakshan kya hai ?
uttar – (1) vyakti buddhimaan praanee hai, atah apana hit-ahit samajhane kee kshamata rakhata hai. (2) sabhee vyakti moolatah samaan hai. (3) shaasan ka gathan udaaravaadee evan lokataantrik sanvidhaan ke anusaar hona chaahie arthaat seemit shaasan ke siddhaant ka paalan kiya jaana chaahie. (4) nishchit avadhi ke baad svatantr evan nishpaksh chunaav hone chaahie aur ek se adhik raajaneetik dal hone chaahie.
prashn 11 lokataantrik samaajavaad se kya taatpary hai ?
uttar – lokatantr ka samaajavaadee siddhaant lokatantr ke jis svarup par bal deta hai, use praayah lokataantrik samaajavaad bhee kaha jaata hai.
prashn 12 pratyaksh lokatantr kise kahate hain ?
uttar pratyaksh lokatantr ke antargat janata svayan pratyaksh roop se raajy kee pramukh shakti ko poorn prayog karatee hai. vah neeti sambandhee phaisale letee hai, kaanoon banaatee hai tatha prashaasanik adhikaariyon ko niyukt karatee hain.
prashn 13 apratyaksh lokatantr kise kahate hain ?
uttar – apratyaksh lokatantr isake antargat janata svayan pratyaksh roop se shaasan kee shakti ka prayog nahin karatee hai, apitu apane pratinidhiyon ke maadhyam se prabhutv shakti ka prayog karatee hai.
prashn 14 lokatantr kee pramukh visheshataen kya hai ?
uttar – (1) janata ka shaasan – shaasan kee ek pranaalee ke roop mein lokatantr sampoorn janata ka shaasan hota hai. janata ka arth sampoorn janasamooh evan pratyek vyakti se hai. is prakaar yah kisee vishesh nasl, bhaasha, sanskrti aadi se sambandhit varg ka shaasan nahin hai. (2) janata dvaara nirmit shaasan – lokatantr mein sarakaar ka nirmaan janata dvaara kiya jaata hai. isamen janata apane pratinidhi chunatee hain aur ve pratinidhi sarakaar ka nirmaan karate hain. (3) lokatantr shaasan ek saadhan hai, saadhy nahin – lokatantr mein shaasan ko kabhee bhee saadhy nahin maana jaata hai, apitu shaasan ko ek saadhan maana jaata hai. vaastav mein lokatantr mein shaasan nimnalikhit saadhyon kee praapti ka saadhan maana jaata hai – (1) vyakti ke svatantrata evan gaurav kee raksha (2) saarvajanik hit kee vrddhi.
prashn 15 aadhunik vishv mein pratinidhi prajaatantr ke do mukhy roop kaunase hain ?
uttar – sansadaatmak shaasan tatha adhyakshaatmak shaasan. pratham ka aadarsh udaaharan sanyukt raajy amerika kee shaasan pranaalee hai. sveetajaralaind ek aisa desh hai jisamen sangheey star par sansadaatmak evan adhyakshaatmak shaasan pranaaliyon ke mishrit roop ko apanaaya gaya hai .
prashn 16 raajaneetik dalon ka nirmaan kisake hit mein hota hai ?
uttar – raajaneetik dalon ka nirmaan raashtr hit mein hota hai .
prashn 17 raajyon ne yuddh mein kaunasee neeti ko apanaaya tha ?
uttar – briten, phraans aadi yoorop ke lokataantrik raajyon ne yuddh evan saamraajyavaad kee neeti ko apanaaya tha .
prashn 18 lokatantr kee saphalata ke lie kya jarooree hai ?
uttar – lokatantr kee saphalata ke lie jarooree hai ki vyaktiyon ke beech dharm, jaati, bhaasha, rang, nasl, ling janm aadi ke aadhaar par bhedabhaav nahin kiya jaaye. sabhee vyakti kaanoon ke saamane samaan maane jaaye aur unhen nyaayaalay samaan kaanoonee sanrakshan den.
prashn 19 lokatantr kee saphalata ke lie kya aavashyak hai ?
uttar – lokatantr kee saphalata ke lie janata ka shikshit evan jaagarook hona aavashyak hai. isake alaava jab janata jaagarook hotee hai to sarakaar kee lokatantr virodhee neetiyon evan kaaryon ka virodh karane mein bhee samarth hotee hai.