संसाधनों का वर्गीकरण संरक्षण एवं पोषणीय विकास

संसाधनों का वर्गीकरण संरक्षण एवं पोषणीय विकाससंसाधनों का वर्गीकरण 

संरक्षण एवं पोषणीय विकास

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संसाधनों का वर्गीकरण, संरक्षण एवं पोषणीय विकास
संसाधन हमारे पर्यावरण में पाए जाने वाले वह सभी पदार्थ जो मनुष्य की आवश्यकता की पूर्ति करते हैं संसाधन कहलाते हैं। जैसे लोहा, कोयला, पेट्रोलियम, सोना,चांदी, संगमरमर, ग्रेनाइट आदि। जिनके अनुसार संसाधन का अर्थ किसी उद्देश्य की प्राप्ति करना है उद्देश्य व्यक्ति की आवश्यकता तथा सामाजिक लक्ष्यों की पूर्ति करता है। पृथ्वी पर कोई भी वस्तु संसाधन की श्रेणी में तभी आ सकती है जब वह निम्नलिखित भाषाओं पर खरी उतरती है वस्तु का उपयोग संभव हो जिसका रूप बदला जा सकता हूं जिसको अधिक मूल्यवान बनाया जा सकता है इन वस्तुओं को दोहन की योग्यता रखने वाला मानव उपलब्ध हो 

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संसाधनों का वर्गीकरण

संसाधनों को अध्ययन की दृष्टि से निम्न आधारों पर वर्गीकृत किया गया उत्पत्ति के आधार पर उत्पत्ति या उत्पाद के आधार पर संसाधनों को दो भागों में बांटा गया है 

(1) जैविक संसाधन (2) अजैविक संसाधन 

जैविक संसाधन वह सभी संसाधन जिनका हमारे पर्यावरण में निश्चित जीवन चक्र होता है तथा जिनमें जीव तत्व पाया जाता है जैविक संसाधन कहलाते हैं जैसे मानव पशु पक्षी जीव जंतु पेड़ पौधे आदि मानव तथा जीव जंतु गतिशील होने के कारण चल जैविक संसाधन हैं तथा पेड़ पौधे स्थिर होने के कारण अचल जैविक संसाधन है यह नवीकरणीय तथा असमाप्ता संसाधन है अजैविक संसाधन वह सभी संसाधन जिनका हमारे पर्यावरण में निश्चित जीवन चक्र नहीं होता है तथा जिनमें जीव तत्व नहीं पाया जाता है एक संसाधन कहलाते हैं जैसे कोयला ग्रेनाइट जल पेट्रोलियम मिट्टी आती है नवीकरणीय तथा समापन साधन हैं 

उद्देश्य के आधार पर संसाधनों को निम्नलिखित भागों में बांटा गया है :-

ऊर्जा संसाधन :- वह संसाधन जिन को उपयोग में लाने से ऊर्जा शक्ति प्राप्त होती है ऊर्जा संसाधन कहलाते हैं जैसे कोयला पेट्रोलियम जलविद्युत सौर ऊर्जा पवन ऊर्जा आदि ऊर्जा संसाधनों को दो भागों में बांटा जा सकता है परंपरागत ऊर्जा संसाधन ,गैर परंपरागत ऊर्जा संसाधन 

परंपरागत ऊर्जा संसाधन :-

 वह ऊर्जा संसाधन जिनका उपयोग प्राचीन काल से किया जा रहा है परंपरागत ऊर्जा संसाधन कहलाते हैं जैसे पशु लकड़ी कोयला पेट्रोलियम जलविद्युत परमाणु ऊर्जा 

गैर परंपरागत ऊर्जा संसाधन :-

ऊर्जा के संसाधन जिनका उपयोग वर्तमान में प्रारंभ हुआ है तथा भविष्य में जिनके विकास की संभावना है गैर परंपरागत ऊर्जा संसाधन है जैसे सौर ऊर्जा पवन ऊर्जा ज्वारीय ऊर्जा भूतापीय ऊर्जा बायोगैस बायोडीजल आदि 

 

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गैर ऊर्जा संसाधन :-

वह संसाधन जिन को उपयोग में लाने पर ऊर्जा की प्राप्ति नहीं होती है तथा जिन्हें कच्चे माल और निर्माण उद्योग में उपयोग लाया जाता है जैसे लोहा मैग्नीशियम ऑक्साइड ग्रेनाइट संगमरमर सोना चांदी आदि 

उपयोग की सत्यता के आधार पर इस आधार पर इसे मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा जा सकता है 

समाप्त नवीकरणीय संसाधन वह संसाधन जिन को उपयोग में लाने के बाद पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता वह समाप्त किया यह नवीकरणीय संसाधन के नाते हैं जैसे लोहा कोयला पेट्रोलियम सोना चांदी प्लेटिनम आदि आसमा पे 

नवीकरणीय संसाधन वह संसाधन जिन को उपयोग में लाने के बाद उन्हें प्राप्त किया जा सकता है वह ऐसा माता व नवीकरणीय संसाधन कहलाते हैं जैसे मानव पशु पक्षी वन पावन जल सौर ऊर्जा ज्वारीय ऊर्जा आदि 

संसाधनों का वर्गीकरण, संरक्षण एवं पोषणीय विकास

चक्रीय संसाधन वह संसाधन जिनको एक बार उपयोग में लाने के बाद पिघलाकर तथा रूप बदलकर नई वस्तु का निर्माण करके पुनः उपयोग में लाया जा सकता है चक्रीय संसाधन कहलाते हैं जैसे कागज लोहा एल्युमीनियम प्लास्टिक आदि स्वामित्व के आधार पर संसाधनों को तीन भागों में बांटा गया है व्यक्तिगत संसाधन जिन संसाधनों पर किसी व्यक्ति परिवार या संगठन का अधिकार होता है व्यक्तिगत संसाधन कहलाते हैं जैसे मकान दुकान भूखंड खेत कार आदि राष्ट्रीय संसाधन जिन संसाधनों पर पूरे देश का अधिकार होता है राष्ट्रीय संसाधन कहलाते हैं जैसे वन जल सेना वायु आदि अंतर्राष्ट्रीय संसाधन जिन संसाधनों पर पूरे विश्व का अधिकार होता है अंतर्राष्ट्रीय संसाधन कहलाते हैं जैसे सभी जैविक और अजैविक संसाधन 

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संसाधनों का वर्गीकरण संरक्षण एवं पोषणीय विकास

संसाधन संरक्षण :-

संसाधन संरक्षण का अभिप्राय संसाधनों के नियोजित विवेकपूर्ण मित्रता पूर्ण पुनर्भरण क्षमता अनुसार विनाश रहित उपयोग से है इसे संसाधन संरक्षण कहते हैं संरक्षण की आवश्यकता निम्नलिखित है मानव के सतत विकास के लिए विभिन्न प्रकार के संसाधनों का उपयोग आवश्यक है संसाधनों का लंबे समय तक उपयोग करने के लिए इनका संरक्षण भी आवश्यक है हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए संसाधन बचाए रखना हमारा कर्तव्य है संसाधन विनाश के प्रभाव जनसंख्या की वृद्धि नगरीकरण औद्योगिकरण और वृक्षों की अंधाधुंध कटाई है पर्यावरण प्रदूषण के साथ-साथ संसाधन भी समाप्त होते जा रहे हैं पर्यावरण प्रदूषण से भूमि जल वायु आदि ने अपनी गुणवत्ता को दी है आज पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन के कारण ओजोन परत में छिद्र ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि और मानव की क्षमता में कमी हुई है 

संसाधन संरक्षण की समस्या चार कारक संयुक्त रूप से इसके लिए उत्तरदाई है जनसंख्या विस्फोट के कारण बढ़ती मानवीय आवश्यकताएं वैज्ञानिक आविष्कारों से औद्योगिकीकरण एवं परिवहन में वृद्धि पश्चिमी उपभोक्तावादी संस्कृति के व्यापक प्रसार से संसाधनों के अधिकतम उपभोग की प्रवृत्ति अधिकतम विकास की प्रवृत्ति संसाधन संरक्षण के उपाय निम्नलिखित है जनसंख्या वृद्धि पर प्रभावी नियंत्रण नियोजन में समग्र दृष्टिकोण जैविक संतुलन बनाए रखना ऊर्जा के गैर पारंपरिक संसाधनों का अधिक उपयोग वैकल्पिक संसाधनों की खोज प्राथमिकता के आधार पर उपयोग पुनर्चक्रण कृत्रिम वस्तुओं का उपयोग उन्नत परिष्कृत तकनीक का उपयोग संसाधनों का बहुउद्देशीय उपयोग जनसंख्या वृद्धि पर प्रभावी नियंत्रण तिरुपति से बढ़ती हुई जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए संसाधनों की अधिक आवश्यकता होगी देश में संसाधन संरक्षण के लिए जनसंख्या पर नियंत्रण करना आवश्यक है

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संसाधनों का वर्गीकरण संरक्षण एवं पोषणीय विकास

नियोजन में समग्र दृष्टिकोण नियोजन में समग्र दृष्टिकोण से तात्पर्य पर्यावरण के विभिन्न अवयवों घटकों के समुचित उपयोग और उनके संरक्षण से हैं किसी भी अवयव की कमी या क्षरण से संपूर्ण पर्यावरण का संतुलन बिगड़ सकता है जैसे त्रिभुज योगी की करण व शहरीकरण से उपजाऊ कृषि योग्य भूमि की कमी वन विनाश से मृदा अपरदन उत्पादकता में कमी चौराहों का नष्ट होना पर्यावरण प्रदूषण वर्षा की कमी से जलस्तर घटने जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो रही है अतः मानव कल्याण के लिए नियोजन में समग्र दृष्टिकोण को अपनाया जाना चाहिए जैविक संतुलन बनाए रखना मानव अस्तित्व के लिए जल वायु मृदा वनस्पति जीव जंतु आदि प्रमुख जैविक आधार है अतः जैविक संतुलन को ध्यान में रखकर आर्थिक नियोजन से मानव पर्यावरण संतुलन और संसाधनों की उपलब्धता बनी रहेगी और मानव उत्तरोत्तर प्रगति करता रहेगा ऊर्जा के गैर पारंपरिक संसाधनों का अधिक उपयोग ऊर्जा के गैर पारंपरिक संसाधन नवीकरणीय है जैसे सौर ऊर्जा पवन ऊर्जा ज्वारीय ऊर्जा भूतापीय उर्जा आदि संसाधन है यह सभी संसाधन प्रदूषण रहित और स्थापना लागत के बाद बहुत सस्ती ऊर्जा प्रदान करते हैं वैकल्पिक संसाधनों की खोज विश्व में अनवीकरणीय संसाधनों के भंडार सीमित होने से विकल्पों की खोज कर उनका उपयोग करना आवश्यक है जिससे आने वाली पीढ़ियों को संसाधन उपलब्ध हो सकते हैं ऊर्जा प्राप्ति के लिए पेट्रोलियम व कोयला के स्थान पर सौर ऊर्जा पवन ऊर्जा जल विद्युत परमाणु ऊर्जा ज्वारीय ऊर्जा व भूतापीय ऊर्जा का अधिक उपयोग किया जाना चाहिए प्राथमिकता के आधार पर उपयोग सीमित और समाप्ति संसाधनों का उपयोग अति आवश्यक एवं राष्ट्रीय महत्व के कार्यों में ही किया जाए अन्य कार्यों में विकल्पों का उपयोग किया जाना हितकर होगा जैसे भारत में टंगस्टन की उपलब्धता कम है अतः टंगस्टन का उपयोग आयुध क्षेत्र में वरीयता के साथ कर इसका संरक्षण कर सकते हैं पुनर्चक्रण धातुओं के स्क्रैप कतरन या उपयोग के बाद खराब होने पर गला कर पुनः उपयोग में लाना पुनर्चक्रण चलाता है यह विधि संसाधन संरक्षण की बहुत अधिक उपयोगी आवश्यक एवं महत्वपूर्ण विधि है इस विधि द्वारा किसी भी धातु का एक बार उपयोग करने के बाद भी कई बार उन्हें उपयोग किया जा सकता है जैसे तांबा सीसा जस्ता एल्युमीनियम और लोहा आदि धातुओं को गला कर पुणे उपयोग कर संरक्षण किया जा सकता है कृत्रिम वस्तुओं का उपयोग प्राकृतिक संसाधनों की बचत कारण लंबे समय तक उपलब्धता बनाए रखने के लिए कृतिम पदार्थों का उपयोग किया जाना चाहिए जिसे लकड़ी के स्थान पर प्लास्टिक तथा रेलवे लाइनों में लोहे या लकड़ी के स्लीपर के स्थान पर लोहे के सरिया सीमेंट व कंक्रीट से बने स्लीपर लगाकर लकड़ी और लोहे की बचत कर सकते हैं उन्नत व परिष्कृत तकनीक का उपयोग उन्नत व परिष्कृत तकनीक का उपयोग कर उर्जा और अन्य संसाधन की बचत की जा सकती है बहुमंजिला इमारतों का निर्माण कर भू संसाधनों की बचत की गई है आज पांच सितारा होटलों में विद्युत उपकरणों व अधिक इंदन औषध देने वाले संसाधनों का उपयोग से उर्जा की बचत हुई है संसाधनों का बहुउद्देशीय उपयोग जब एक ही योजना से कई उद्देश्य पूरे होते हैं तो उन्हें बहुउद्देशीय योजनाएं कहते हैं इनसे संसाधनों का संरक्षण किया जा सकता है जैसे नदियों पर बांध बनाने के तीन मुख्य उद्देश्य एक साथ ही उद्देश्य होते हैं जैसे सिंचाई के लिए जल परी जल विद्युत उत्पादन मत्स्य पालन बाढ़ नियंत्रण वन विकास मृदा अपरदन की रोकथाम भूजल स्तर बढ़ाना जल पोचनीय सतत विकास सतत पोषणीय विकास पोषणीय विकास का अभिप्राय पर्यावरण के साथ संतुलित विवेकपूर्ण मितव्ययिता पुनर्भरण क्षमता अनुसार विनाश रहित उपयोग से है

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अर्थशास्त्र का परिचय

   

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कक्षा 12 भूगोल नोट्स

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