पाठ 9 – जैसलमेर की राजकुमारी

पाठ 9 – जैसलमेर की राजकुमारी

प्रश्न उत्तर (सोचें और बताएं)
प्रश्न 1. राजकुमारी का नाम क्या था?
उत्तर जैसलमेर की राजकुमारी का नाम राजनंदिनी रत्नावती था।
प्रश्न 2. रणथंभौर दुर्ग को किसकी सेना ने घेर रखा था ?
उत्तर दुर्ग को अलाउद्दीन खिलजी की सेना ने घेर रखा था।
प्रश्न 3. राजकुमारी के पिता का नाम क्या था?
उत्तर राजकुमारी के पिता का नाम महाराज रत्नसिंह था।
* अति लघुत्तरात्मक प्रश्न :–
प्रश्न 1. राजकुमारी की तुलना किससे की गई है?
उत्तर राजकुमारी की तुलना वीर योद्धा और देवदूत से की गई है।
प्रश्न 2. मलिक काफूर कौन था?
उत्तर मालिक काफूर एक गुलाम था । जो यवन सेना का सेनापति था।
प्रश्न 3. राजकुमारी के सम्मुख उनके पिता के संदेश वाहक के रूप में कौन आया था।
उत्तर राजकुमारी के सम्मुख उनके पिता के संदेश वाहक के रूप में यवन सेना का सैनिक था, जो कपटी था।

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* लघुत्तरात्मक प्रश्न :–
प्रश्न 1. पाठ में दुश्मन को किन-किन नामों से पुकारा गया है ?
उत्तर पाठ में दुश्मन को धूर्त , छलिया, टिड्डी दल आदि नामों से पुकारा गया है।
प्रश्न 2. यवनों के आक्रमण का राजकुमारी द्वारा किए गए उपहास का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए?
उत्तर यवनों के आक्रमण का राजकुमारी उपहास करते हुए कहती है कि- ” यह धूर्त लोग रोज धूल उड़ाते हैं, दुर्ग पर गोलियाँ बरसाते हैं , इससे इन्हें कोई लाभ तो होता नहीं उलटे हमारा किला गंदा हो जाता है।”
प्रश्न 3. मलिक काफूर ने बुजुर्ग सैनिक को रिश्वत क्यों दी थी?
उत्तर मलिक काफूर ने बुजुर्ग सैनिक को रिश्वत इसलिए दी क्योंकि उसने सोचा कि बुजुर्ग सैनिक लालच में आकर दुर्ग का प्रवेश द्वार खोल देगा, और वह अपने चुने हुए सो योद्धाओं के साथ उसके बताए हुए गुप्त मार्ग से दुर्ग के भीतर महलों तक पहुँच जाएगा।

* दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न :–
प्रश्न 1. कहानी के भाव को अपने शब्दों में लिखिए । उत्तर “जैसलमेर की राजकुमारी” कहानी का मूल भाव यह है कि हमारे देश की महिलाएँ भी आवश्यकता पड़ने पर अपने देश और महल की सुरक्षा कर सकती है । उसके पास भी बुद्धि – चातुर्य और सैन्य – कौशल के द्वारा शत्रुओं को पराजित करने की शक्ति होती है। राजकुमारी रत्नावती ने पिता की अनुपस्थिति में जिस प्रकार किले की चौकसी कि वह प्रशंसा के योग्य है। उसने बड़ी चतुराई से यवन सेनापति को बंदी बना लिया था। राजा की अनुपस्थिति में उसने यवन सेनापति और उसके सैनिकों का अपने से ज्यादा ध्यान रखा । उसकी इसी दयालुता से चकित होकर मलिक काफूर ने उसकी तुलना देवदूत से की।
प्रश्न 2. राजकुमारी के रण – कौशल का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए ।
उत्तर राजकुमारी रत्नावती साहस और उत्साह से परिपूर्ण थी। उसने मर्दानी पोशाक पहन रखी थी। अपने पिता से दुर्ग की रक्षा का जो वादा किया उसे पूरी निष्ठा से पूरा किया। वह दुर्ग के मीनारों और गुंबदों पर चढ़कर सारी रात दुर्ग की सुरक्षा का ध्यान रखती। यवनों के दल का भयंकर आक्रमण वह तब तक देखती रही जब तक वह दुर्ग की आधी दीवार पर नहीं चढ़ गए । फिर उसने भारी-भारी पत्थरों और गर्म तेल से कई सैनिकों के मुँह झुलसा दिए और कई सैनिकों की चटनी बना दी। उसने बड़ी चतुराई से मलिक काफूर को बंदी बना लिया। इस तरह रण कौशल दिखलाकर अलाउद्दीन की शाही सेना को घुटने टेकने पर विवश कर दिया।

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* पाठ से आगे

प्रश्न 1. जैसलमेर के दुर्ग के बारे में जानकारी दीजिए।
उत्तर जैसलमेर का दुर्ग राजस्थान की शान माना जाता है यह शहर के मध्य में स्थित है इसका निर्माण 1156 ई. में इस भाटी राजपूत शासक जैसल द्वारा त्रिकुट पहाड़ी के शीर्ष पर किया गया है। जैसलमेर किले में कई खूबसूरत हवेलियाँ ,मंदिर, सैनिकों तथा व्यापारियों की आवासीय परिसर है। यह किला 30 फुट ऊँची दीवार से घिरा हुआ है। यह 99 बुर्जो वाला विशाल किला है। किले के भीतर अनेक कुँए हैं, जिससे यहां के निवासियों को नियमित पानी मिलता है। यह किला राजपूत और मुगल स्थापत्य का मिश्रण है।

प्रश्न 2. जैसलमेर में दुर्ग के अलावा और कौन कौन से दर्शनीय स्थल है?
उत्तर जैसलमेर में दुर्ग के अलावा निन्नलिखित स्थल दर्शनीय हैं :–
1.पटवों की हवेली
2. तनोट माता मंदिर
3. जैन मंदिर
4. गढीसर तालाब
5. महाराजा पैलेस
6. लोंगे वाला युद्ध स्मृति भवन
7. सम के धोरे
8. बड़ा बाग ।

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प्रश्न 3. जैसलमेर को और किन किन नामों से जाना जाता है ?
उत्तर जैसलमेर को ‘स्वर्ण नगरी’ और ‘हवेलियों के शहर’ के नाम से भी जाना जाता है ।
प्रश्न 4. अलाउद्दीन के पास जाकर गुप्तचर ने क्या कहा ?
उत्तर अलाउद्दीन के पास जाकर गुप्तचर ने कहा कि – ” वहाँ किसी तरकीब से रसद पहुँच गई है। अब किला, 9 महीने पड़े रहने पर भी हाथ न आएगा । फिर शाही फौज के लिए पानी अब किसी तालाब में नहीं है।
प्रश्न 5. राजकुमारी की अतिथि सेवा से प्रसन्न होकर मलिक काफूर ने क्या किया?
उत्तर राजकुमारी की अतिथि सेवा से प्रसन्न होकर मलिक काफूर ने कहा कि – “राजकुमारी तो पूजने लायक है, इंसान नहीं, फरिश्ता है। मैं ताजिंदगी इनकी मेहरबानी नहीं भूल सकता ।

* मुहावरे :—

1.लोहा लेना — मुकाबला करना ।
2. बाल भी बाँका न होना — कोई नुकसान ना होना ।
3. ठट्ठा उड़ाना — मजाक उड़ाना ।
4. तलवार के घाट उतारना — जान से मारना ।
5. हत् बुद्धि हो जाना — कुछ निर्णय न ले पाना ।
6.गर्द उड़ाना — असफल प्रयास करना ।

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