अध्याय 1 फसल उत्पादन एवं प्रबंध

अध्याय 1 फसल उत्पादन एवं प्रबंधअध्याय 1 फसल उत्पादन एवं प्रबंध

अध्याय 1 फसल उत्पादन एवं प्रबंध

प्रश्न 1. उचित शब्द छांटकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए । तैरने, जल, फसल, पोषक, तैयारी।

(क) एक स्थान पर एक ही प्रकार के बड़ी मात्रा में उगाए गए पौधों को …..फसल…. कहते हैं।

(ख) फसल उगाने से पहले प्रथम चरण मिट्टी की ..तैयारी.. होती है।

(ग) क्षतिग्रस्त बीज जल की सतह पर …तैरने…. लगेंगे।

(घ) फसल उगाने के लिए पर्याप्त सूर्य का प्रकाश एवं मिट्टी से …जल… तथा …पोषक.. आवश्यक हैं।

प्रश्न 2. ‘कॉलम A’ में दिए गए शब्दों का मिलान कॉलम B से कीजिए।

कॉलम A(I) खरीफ़ फसल

(Ii) रबी फसल

(Iii) रासायनिक उर्वरक

(Iv) कार्बनिक खाद

कॉलम B(a) मवेशियों का चारा

(b) यूरिया एवं सुपर फॉस्फेट

(c) पशु अपशिष्ट, गोबर, मूत्र एवं पादप अवशेष

(d) गेहूं, चना, मटर

(e) धान एवं मक्का

उत्तर:-

कॉलम A कॉलम B
(I) खरीफ़ फसल(Ii) रबी फसल

(Iii) रासायनिक उर्वरक

(Iv) कार्बनिक खाद

(e) धान एवं मक्का(d) गेहूँ, चना, मटर

(b) यूरिया एवं सुपर फॉस्फेट

(c) पशु अपशिष्ट, गोबर, मूत्र एवं पादप अवशेष।

प्रश्न 3. निम्न के दो-दो उदाहरण दीजिए

(क) खरीफ़ फसल

(ख) रबी फसल

उत्तर:-  (क) खरीफ़ फसल :- धान, मक्का,  सोयाबीन , मूंगफली, कपास।

(ख) रबी फसल :- गेहूँ, चना, मटर , सरसों, अलसी।

प्रश्न 4. निम्न पर अपने शब्दों में एक-एक पैराग्राफ लिखिए

(क) मिट्टी तैयार करना

(ख) बुआई

(ग) निराई

(घ) थ्रेशिंग

उत्तर:-  (क) मिट्टी तैयार करना- यह प्रकिया फसल उगाने का प्रथम चरण है। मिट्टी को पलटने और पोला बनाने से पौधों की जड़े गहराई तक जाकर श्वसन कर सकती हैं। पोली बनाई हुई मिट्टी में केंचुओं और सूक्ष्मजीवों को वृद्धि में सहायता मिलती है तथा ये मिट्टी को और अधिक पोला कर ह्यूमस बनाते हैं, इसके अतिरिक्त मिट्टी पलटने से पोषक पदार्थ ऊपर आ जाते हैं जो अच्छी फसल उगाने में अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं।

(ख) बुआई – यह फसल उत्पादन का महत्वपूर्ण चरण है। मिट्टी को तैयार करने के पश्चात् खेत में बीज बोए जाते हैं। उचित दूरी एवं गहराई पर खेत में बीज बोना बुआई कहलाता है। बुआई के लिए अच्छी गुणवत्ता, साफ एवं स्वस्थ बीजों का चुनाव करना जरूरी होता है।

उचित बीजों को चुनने के बाद इन बीजों को उचित गहराई तथा उचित दूरी पर बोना चाहिए ताकि प्रत्येक पौधे को पर्याप्त हवा, प्रकाश, खनिज एवं पानी मिल सके। बुआई के लिए निम्नलिखित विधियों का प्रयोग किया जाता है सीड ड्रिल  परम्परागत औजार

(ग) निराई – खरपतवार हटाने को ‘निराई’ कहते हैं। निराई नहीं करने से खरपतवार जल, पोषक तत्व आदि ग्रहण कर फसल की वृद्धि को प्रभावित कर सकते हैं। फसल उगाने से पहले खेत जोतने पर धूप के कारण खरपतवार मर जाते हैं और मिट्टी में मिल जाते हैं। खरपतवार हटाने का सबसे सही समय फूल एवं बीज बनने से पहले होना चाहिए। खरपतवार को हाथ, खुरपी आदि की सहायता से हटाया जा सकता है।

(घ) थ्रेशिंग – खेतों से काटी गई फसल से बीजों या दानों को भूसे से अलग करने के प्रकम को थ्रेशिंग कहा जाता है। थ्रेशिंग करने के भी कई तरीके होते हैं। जैसे- छोटे खेत वाले किसान अनाज के दानों को फटक कर (विनोइंग द्वारा) अलग करते हैं और बड़े खेत वाले किसान कॅम्बाइन मशीन का प्रयोग करते हैं ।

प्रश्न 5. स्पष्ट कीजिए कि उर्वरक खाद से किस प्रकार भिन्न है?

उत्तर:- खाद एक कार्बनिक जैविक पदार्थ है जो कि पौधों या जंतु अपशिष्ट से प्राप्त होती हैं जबकि उर्वरक रासायनिक पदार्थ है जो विशेष पोषकों से समृद्ध होते हैं, इनका उत्पादन फैक्ट्रियों में किया जाता है। इनके मध्य अंतर को निम्न प्रकार समझा जा सकता है

1 उर्वरक एक मानव निर्मित लवण हैं जबकि खाद एक प्राकृतिक पदार्थ है।

2 उर्वरक का निर्माण फैक्ट्रियों में होता है जबकि खाद खेतों में बनाई जा सकती है।

3 उर्वरक से मिट्टी को ह्ययूूूमस प्राप्त नहीं होती है जबकि खाद से मिट्टी को पर्याप्त मात्रा में ह्ययूूूमस प्राप्त होती हैं।

4 उर्वरक पादप पोषक होते हैं जबकि खाद में पादप पोषक तुलनात्मक रूप से कम होते हैं।

प्रश्न 6. सिंचाई किसे कहते हैं? जल संरक्षित करने वाली सिंचाई की दो विधियों का वर्णन कीजिए।

उत्तर:- उचित समय उचित समय एवं अंतराल पर फसल को जल देना सिंचाई कहलाता है जल संरक्षित करने वाली सिंचाई की विधियां निम्नलिखित है (1) छिड़काव तंत्र (2) ड्रिप तंत्र ।

(1) छिड़काव तंत्र :- इस विधि का उपयोग समतल भूमि में किया जाता है जहां पर जल कम मात्रा में उपलब्ध होता है इसमें घूमने वाले नोजल लगे हुए पाइप होते हैं जो निश्चित दूरी वालेेेे पाइपों से जुड़े होते हैं इनसे पानी का छिड़काव इस प्रकार होता है जैसे वर्षा हो रही हो।

(2) ड्रिप तंत्र :- इस विधि में जल बूंद बूंद करके सीधे पौधोंं की जड़ों में गिरता है, इसलिए इसे ड्रिप तंत्र कहते हैं। बगीचों एवं वृक्षों को पानी देने का यह सर्वोत्तम तरीका है। इस विधि में जल बिल्कुल व्यर्थ नहीं होता है।

7. यदि गेहूँ को खरीफ ऋतु में उगाया जाए तो क्या होगा? चर्चा कीजिए।

उत्तर:- गेहूं रवि की फसल है जो शीत ऋतु में उगाई जाती है यदि गेहूं को खरीदी ऋतु में उगाया जाए तो उस समय तापमान और जलवायु दशाओं का अनुकूल ना होने के कारण गेहूं की फसल पर बुरा प्रभाव पड़ता है और इसका उत्पादन संभव नहीं हो पाता है क्योंकि प्रत्येक फसल के लिए वर्षा तापमान इत्यादि   विशेष दशाओं का होना आवश्यक होता हैं

प्रश्न 8. खेत में लगातार फसल उगाने से मिट्टी पर क्या प्रभाव पड़ता है? व्याख्या कीजिए।

उत्तर:- खेत में लगातार फसल उगाने से मिट्टी की उपजाऊ क्षमता कम हो जाती है। मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी हो जाती हैं। जिससे अच्छी पैदावार नहीं मिल पाती है। मिट्टी के उपजाऊपन को बनाए रखने के लिए फसल चक्र का उपयोग करना आवश्यक है। फसलों को बदल बदल कर बौने और खेत को कुछ समय तक कृषि कार्य में ना लेने से मिट्टी में पोषक तत्व पुनः समृद्ध हो जाते हैं।

प्रश्न 9. खरपतवार क्या हैं? हम उनका नियंत्रण कैसे कर सकते हैं ?

उत्तर:- निराई में अवांछित एवं बिना उगाए पौधों को हटाया जाता है जिन्हें ही खरपतवार कहते हैं।

दूसरे शब्दों में खेत में कई अन्य अवांछित पौधे प्राकृतिक रूप से फसल के साथ उग जाते हैं, जिन्हें खरपतवार कहा जाता है। खरपतवार हटाने को निराई कहते हैं।

खरपतवार पर नियंत्रण के लिए रसायनों का भी उपयोग किया जाता है, जिन्हें खरपतवारनाशी कहते हैं। यह रसायन खरपतवार पौधों को मार देते हैं, किंतु फसल को हानि नहीं पहुंचाते हैं।

प्रश्न 10. निम्न बॉक्स को सही क्रम से इस प्रकार लगाइए कि गन्ने की फसल उगाने का रेखाचित्र तैयार हो जाए।

प्रश्न 11. नीचे दिए गए संकेतों की सहायता से पहेली को पूरा कीजिए

अध्याय  2   सूक्ष्मजीव मित्र एवं शत्रु

अध्याय  3   संश्लेषित रेशे और प्लास्टिक

अध्याय  4   पदार्थ धातु और अधातु

अध्याय  5   कोयला और पेट्रोलियम

अध्याय  6   दहन एवं ज्वाला

अध्याय  7   पौधे एवं जंतुओं का संरक्षण

अध्याय  8   संरचना एवं प्रकार्य

अध्याय  9   जंतुओं में जनन

अध्याय  10  किशोरावस्था की ओर

अध्याय  11  बल तथा दाब

अध्याय  12  घर्षण

अध्याय  13  ध्वनि

अध्याय  14  विद्युत धारा के रासानिक प्रभाव

अध्याय  15  कुछ प्राकृतिक परिघटनाएँ

अध्याय  16  प्रकाश

अध्याय  17  तारे एवं सौर परिवार

अध्याय  18  वायु तथा जल का प्रदूषण

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