प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक क्षेत्रकों में किस तरह की विभिन्न प्रकार की आर्थिक क्रियाएं संचालित की जाती हैं?
- प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector):
प्राथमिक क्षेत्र में वे आर्थिक क्रियाएं आती हैं जो सीधे प्राकृतिक संसाधनों से जुड़ी होती हैं। इस क्षेत्र में कच्चे माल का दोहन किया जाता है और इसे प्राकृतिक संसाधनों के उत्पादन से संबंधित गतिविधियों के रूप में देखा जाता है। इसमें शामिल क्रियाएं:
- कृषि (Farming)
- मछली पालन (Fishing)
- पशुपालन (Animal Husbandry)
- खनन (Mining)
- वानिकी (Forestry) उदाहरण: गेहूं, चावल, मछली, लकड़ी और खनिजों का उत्पादन।
- द्वितीयक क्षेत्र (Secondary Sector):
द्वितीयक क्षेत्र में वे आर्थिक क्रियाएं होती हैं जिनमें कच्चे माल का उपयोग करके वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। यह उद्योगों से संबंधित है, जहां कच्चे माल को उपयोगी उत्पादों में बदला जाता है। इसमें शामिल क्रियाएं:
- निर्माण (Manufacturing)
- निर्माण कार्य (Construction)
- प्रसंस्करण (Processing) उदाहरण: कपड़े, गाड़ियाँ, औजार, और सीमेंट का उत्पादन।
- तृतीयक क्षेत्र (Tertiary Sector):
तृतीयक क्षेत्र सेवाओं से संबंधित होता है। इसमें लोगों को सेवाएं प्रदान की जाती हैं और यह आर्थिक गतिविधियों का एक ऐसा क्षेत्र है जो प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्र को सहयोग और सहायता प्रदान करता है। इसमें शामिल क्रियाएं:
- परिवहन (Transport)
- संचार (Communication)
- बैंकिंग (Banking)
- स्वास्थ्य सेवाएं (Healthcare)
- शिक्षा (Education)
- व्यापार (Trade) उदाहरण: डॉक्टर, शिक्षक, बैंक, दुकानदार, और परिवहन सेवाएं।
इस प्रकार, प्राथमिक क्षेत्र प्राकृतिक संसाधनों का उत्पादन करता है, द्वितीयक क्षेत्र उन संसाधनों का उपयोग करके वस्तुएं बनाता है, और तृतीयक क्षेत्र सेवाएं प्रदान करके दोनों क्षेत्रों की सहायता करता है।