स्वास्थ्य रोग एवं योग
पाठ 14 स्वास्थ्य रोग एवं योग
प्रश्न 1. संतुलित भोजन के मुख्य घटक व स्त्रोत क्या है ?
उत्तर घटक स्रोत
कार्बोहाइड्रेट – अनाज
वसा – मूंगफली , घी
प्रोटीन – दाल, सोयाबीन
खनिज लवण – फल
प्रश्न 2. शरीर के लिए आवश्यक विटामिन के नाम बताइए?
उत्तर
प्रश्न 3. आयोडीन की कमी से होने वाला रोग का नाम बताइए ?
उत्तर गलगंड रोग।
प्रश्न 4. वायरस जनित किन्ही दो रोगों के नाम बताइए?
उत्तर 1 ऐड्स , 2 पोलियो
प्रश्न 5. कुपोषण क्या है? कुपोषण के कारण बताओ।
उत्तर कुपोषण से अभिप्राय संतुलित आहार न मिलने से है। आहार में एक या अधिक तत्वों की कमी से होने वाले रोग को कुपोषण या हीनता जन्य रोग कहते हैं।
* कुपोषण के कारण :–
1 गरीबी व अज्ञानता
2 बेरोजगारी एवं बढ़ती आबादी
3 खाद्यान्नों का अभाव एवं खाद्य सामग्री में मिलावट
4 भोजन संबंधी हमारी आदतें
5 मानसिक वेदना तथा चिंता
6 मिथ्या धारणायें।
प्रश्न 6. प्रोटीन कुपोषण की कमी से होने वाले रोग बताइए तथा उन्हें समझाइए।
उत्तर 1 क्वाशियोरकोर रोग
2 मैरेस्मस रोग
1. क्वाशियोरकोर रोग :– यह प्रोटीन की कमी से होने वाला रोग है। इसके मुख्य लक्षण – भूख कम लगना, शरीर सूज कर फूलना, त्वचा पीली व शुष्क होना और चिड़चिड़ापन होना।
मेरेस्मस रोग :– यह रोग भोजन में प्रोटीन व कैलोरी दोनों की कमी से होता है। इसमें शरीर सूखने लगता है, रोगी दुबला- पतला, चेहरा दुर्गम तथा आंखें कांतिहीन और अंदर धंसी सी होती है।
प्रश्न 7. कार्बोहाइड्रेट की कमी से होने वाले रोग का नाम बता कर समझाइए।
उत्तर हाइपोग्लाईसीमित :– कार्बोहाइड्रेट की कमी से ग्लूकोज की शरीर में उपलब्धता नहीं होने पर रक्त के शर्करा के स्तर में गिरावट आ जाती है। रक्त में ग्लूकोज की कमी से चक्कर आना, थकान व ऊर्जा में कमी आदि लक्षण नजर आते है।
प्रश्न 8. खनिज लवणों की कमी से होने वाले रोग कौन- कौन से हैं? नाम बता कर समझाइए ।
उत्तर रोग :– 1 कैल्शियम विटामिन डी और गलगंड रोग ।
1. कैल्शियम विटामिन डी :– हड्डियों के घनत्व को बनाए रखने के लिए आवश्यक है कैल्शियम की कमी से हड्डियों पेशियों में दर्द एवं ऐंठन जैसे लक्षण दिखते हैं। आयरन की कमी से शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है। जिससे एनीमिया रोग उत्पन्न होता है।
2. गलगंड रोग :– आयोडीन हमारे शरीर की महत्वपूर्ण आवश्यकता है। यद्यपि इसकी बहुत कम मात्रा भी पर्याप्त होती है। आयोडीन की मदद से थायराइड ग्रंथि से थायरोक्सिन हार्मोन स्रावित होता है, जो उपापचयी क्रियाओं को नियंत्रित करता है।
प्रश्न 9. रोग किसे कहते हैं? रोग उत्पत्ति के कारक बताइए।
उत्तर रोग :– शरीर या शरीर के भाग की सामान्य क्रियाओं में असामान्यता का उत्पन्न होना रोग कहलाता है।
* रोग उत्पत्ति के कारक :-
1. जैविक कारक :- ऐसे जीव जो रोग उत्पत्ति का कारण बनते हैं, उन्हें रोगजनक कहते हैं। जैसे – वायरस, जीवाणु, माइकोप्लाजमा फजाई आदी ।
2. रासायनिक कारक :- ऐसे रासायनिक पदार्थ जो शरीर में रोग उत्पन्न करते हैं। जैसे- प्रदूषक, बीजाणु एवं परागकण शरीर में उत्पन्न होने वाले यूरिया तथा यूरिक अम्ल आदी ।
3. पोषण कारक :– पोषी पदार्थों की अधिकता या कमी से रोग जनक कारक की तरह कार्य करती है। जैसे – खनिज, वसा, प्रोटीन , विटामिन , कार्बोहाइड्रेट आदि।
4. यांत्रिक कारक :– यांत्रिक रोगजनक को यांत्रिक कारक कहते हैं। जैसे – घर्षण , चोट लगना, घाव होना आदि।
5. भौतिक कारक :- गर्मी, सर्दी, आद्रता, विद्युत करंट ध्वनि या विकिरणों द्वारा रोग उत्पन्न होना।
6. पदार्थों की कमी या अधिकता :- हार्मोन तथा एंजाइम की अधिकता या रोग ।
प्रश्न 10. रोग कितने प्रकार के होते हैं? नाम बताकर समझाइए।
उत्तर रोग दो प्रकार के होते हैं 1 संक्रामक रोग , और 2 असंक्रामक रोग ।
1. संक्रामक रोग :– रोग जो विभिन्न जीवित कारक जैसे – जीवाणु, वायरस, प्रोटोजोआ द्वारा उत्पन्न होते हैं। इनका संचरण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में होता है। तो उसे संक्रामक रोग कहते हैं। जैसे – डेंगू , एड्स आदि ।
2. असंक्रामक रोग :– रोग जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में स्थानांतरित नहीं होते हैं। उन्हें असंक्रामक रोग कहते हैं । यह केवल रोगी तक ही सीमित रहते हैं। जैसे- मधुमेह , कैंसर आदि।
प्रश्न 11. वायरस जनित रोग कौन कौन से हैं? रोग जनक लक्षण उपचार बताइए।
उत्तर 1. ऐड्स :–
* रोगजनक – एच.आई.वी.वायरस ।
* लक्षण – शरीर का वजन कम होना, अधिक दिनों तक बुखार रहना, दस्त लगना, गले में छाले, रोगों से लड़ने की क्षमता समाप्त होना, त्वचा पर खुजली और सूजन होना , लसिका ग्रंथियां प्रभावित होना।
* रोग का प्रसार — एच.आई.वी. संक्रमित व्यक्ति से यौन संबंध से, संक्रमित व्यक्ति के रक्त के संपर्क में आना, संक्रमित माता से पैदा होने वाली संतानों से, संक्रमित सूई के उपयोग से।
* उपचार — निर्जलीकृत सुई का उपयोग, संक्रमित व्यक्ति से संबंध या विवाह नहीं करना, संक्रमित महिला को गर्भ धारण नहीं करना चाहिए, यौन संबंध के समय निरोध का प्रयोग करना।
2. डेंगू :— इसे हड्डी तोड़ बुखार भी कहते हैं। यह रोग एडीज इजिप्टी मादा मच्छर के काटने से होता है। जिसमें डेंगू वायरस होता है।
* लक्षण :– बुखार आना, ठंड लगना, मांसपेशी व जोड़ो में दर्द , कमजोरी महसूस करना, भूख न लगना चक्कर आना , नब्ज कमजोर चलना, मृत्यु की संभावना रहना।
* उपचार :— बुखार में माइकोफेनॉलिड एसिड तथा लिबाविरिन का प्रयोग करने से डेंगू विषाणू की वद्धि रुक जाती है। मच्छरों पर नियंत्रण हेतु तालाब व टंकी में गैम्बुसिया मछली डालना इसकी विशेष दवा या वैक्सीन नहीं है।
प्रश्न 12. जीवाणु जनित रोग कौन – कौन से हैं ? रोगजनक लक्षण एवं उपचार लिखो।
उत्तर 1. पीलिया :– इस रोग के कारण यकृत रोगग्रस्त हो जाता है। जिसे हिपेटाइटिस रोग भी कहते हैं। इस रोग से व्यक्ति गंभीर रूप से पीलिया ग्रस्त होता है।
* रोगजनक :- लैप्टोस्पाइरा जीवाणु।
* लक्षण :– यकृत अक्रिय होना , रक्त व ऊत्तकों में पित्त वर्णकों में वृद्धि होना , शरीर में कमजोरी आना, त्वचा पीली होना तथा यकृत रोग ग्रस्त हो जाता है।
* रोग प्रसार :– यह प्रदूषित जल के उपयोग के कारण यह रोग उत्पन्न होता है।
* उपचार :- न्यू लिवफिट दवा दिन में दो बार लेनी चाहिए।
2. कुष्ठ रोग :–
* रोगजनक :– माइक्रोबैक्टीरियम लेप्री ।
* लक्षण :– त्वचा की संवेदनशीलता समाप्त होना , त्वचा पर रंगहीन धब्बे होना, संक्रमित स्थान की त्वचा मोटी होना , त्वचा का गलना , इसका प्रभाव तंत्रिका त्वचा, अंगुलियों के पंजों पर भी पड़ता है ।
* रोग का प्रसार :– संक्रमित व्यक्ति के साथ लंबे समय तक रहने से ।
* उपचार :– इसका निदान लेप्रोमिन टेस्ट द्वारा किया जाता है । कुष्ठ निवारण केंद्रों पर रोगी का उपचार किया जाता है ।
प्रश्न 13. प्रोटोजोआ जनित रोग कौन-कौन से हैं? रोगजनक लक्षण एवं उपचार लिखो।
उत्तर 1. रोग :– अमीबाएसिस
* रोगजनक :– एंटीअमीबा, हिस्टोलिटिका
* लक्षण :– ग्रसित व्यक्ति के मल के साथ म्यूकस व रक्त निकलता है। आंतों में ऐंठन होती है, बड़ी आंतों में अल्सर हो जाता है।
* बचाव :– सब्जियों को भलीभांति धोकर उपयोग में लेना ।अमीबीय पुटिकाओं को क्लोरीन, फीनाल , क्रीसोल द्वारा नष्ट किया जाना चाहिए।
2. रोग :– मलेरिया
* लक्षण :– रोगी का शरीर दर्द , हाथ पैरों में ऐंठन, सिर दर्द, तीव्र सर्दी लगना , बदन का कांपना, भूख कम लगना, रक्त की कमी होना, रोगी का कमजोर होना, सुस्त व चिड़चिड़ा होना।
* रोगजनक :– 1. प्लाज्मोडियम वाइवेक्स
2. प्लाज्मोडियम ऑवल
3. प्लाज्मोडियम मलैरी
4. प्लाज्मोडियम फैंल्सीफेरम
* उपचार :– मच्छर खत्म करने के लिए कीटनाशी का छिड़काव करवाना चाहिए। गड्ढों में जमा पानी को साफ करना चाहिए । मच्छरदानी का उपयोग करना चाहिए।
प्रश्न 14. योग क्या है ? अष्टांग योग के विभिन्न चरणों को स्पष्ट करो ?
उत्तर * योग :– योग परंपरा बहुत पुरानी है। जिसका जिक्र महाभारत के युग से सुनते चले आ रहे हैं। योग विचलित व भटके मन को केंद्रित या फोकस प्रदान करता है। साथ ही विचारों के संघर्ष अर्थात मानसिक उतार-चढ़ाव की समाप्ति करता है । योग के मुख्यतः दो पहलू हैं। एक शारीरिक योग दूसरा आध्यात्मिक। दार्शनिक, भावनात्मक योग से व्यक्ति के जीवन से आध्यात्मिक व विवेकपूर्ण विचारधाराओं का प्रवाह करता है। 21 जून 2015 क से 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाया जाता है ।
* अष्टांग योग :—
1. यम :– यम अष्टांग योग का प्रथम तत्व है। इसे अपनाने से इंद्रियों एवं मन को हिंसा आदि जैसे अशुभ भावों से हटाकर आत्म केंद्रित किया जाता है। इसे यम कहते हैं।
2. नियम :– नियम द्वारा व्यक्ति जीवन में अनुशासन का तौर – तरीका सीखना है। और इसे अपनाने से व्यक्ति के अच्छे चरित्र का निर्माण होता है।
3. आसन :–किसी भी आसन में स्थिरता और सुख पूर्वक बैठना ही आसन कहलाता है।
4. प्राणायाम :– शरीर में रहने वाली आवश्यक शक्ति को उत्प्रेरित , नियमित व संतुलित बनाना ही प्राणायाम का उद्देश्य है।
5. प्रत्याहार :– बाह्य वातावरण से विमुख होकर मन को , इंद्रियों को अंतर्मुखी करना ही प्रत्यहार है । प्रत्यहार के द्वारा ही साधक का इंद्रियों पर पूर्ण अधिकार हो जाता है।
6. धारणा :– नाभिचक्र , ह्रदय – पुंडरीक, भूमध्य , बहारन्ध , नाभिकाग आदि शारीरिक प्रदेशों में से किसी एक स्थान पर मन का निग्रह या एकाग्र होना धारणा कहलाता है।
7. ध्यान :– जब व्यक्ति समय और सीमा के बंधन से मुक्त होकर अपना ध्यान केंद्रित करता है, तब वह ध्यान कहलाता है।
8. समाधि :– ..इसमें व्यक्ति की पहचान आंतरिक और बाह्य रूप से ध्यान में खो जाती है। सुख-दुख या दरिद्रता से मुक्त होकर सर्वोच्च आनंद की अनुभूति होती है।
प्रश्न 15. योग का स्वास्थ्य पर प्रभाव बताइए ?
उत्तर योग का स्वास्थ्य पर निम्नलिखित रूप से प्रभाव पड़ता है:–
1 योग से शरीर की प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है ।
2 शरीर अधिक लचीला बनता है ।
3 योग से व्यक्ति का शारीरिक एवं मानसिक विकास होता है।
4 नियमित रूप से योग करने पर वृद्धावस्था में भी शारीरिक संतुलन बना रहता है ।
5 विभिन्न योगासनों द्वारा रक्त शुद्ध रहता है ।
6 योग शरीर की ग्रंथियों को उत्कृष्ट करता है। जिससे शरीर का संतुलित विकास होता है।
प्रश्न 16. नागार्जुन का जीवन परिचय लिखो?
उत्तर आंध्र प्रदेश अमरावती क्षेत्र में प्रथम शताब्दी ईस्वी में जन्मे नागार्जुन प्रसिद्ध विद्वान व अपने समय के प्रसिद्ध रसायनज्ञ थे । इनकी प्रसिद्ध पुस्तक “रसरत्नाकर” में रजत, स्वर्ण, टीन तथा तांबा जैसी धातुओं के उनके स्रोतों से निष्कर्षण , आसवन, द्रवीकरण, उर्ध्वपातन आदि की विस्तृत व्याख्या की गई है ।
इन्होंने अमृत बनाने तथा धातुओं को स्वर्ण में परिवर्तित करने के लिए भी अनेक प्रयोग किए । इनकी पुस्तक में अनेक उपकरणों के चित्र भी दिए गए हैं। एक अन्य पुस्तक “उत्तरतंत्र ” प्रसिद्ध पुस्तक “सुश्रुत संहिता” की पूरक के रूप में जानी जाती है। जिनमें उन्होंने अनेक दवाइयों को बनाने के प्रयोग लिखे हैं। इनकी अन्य पुस्तकें हैं :- “आरोग्यमंजरी” , “कक्षपुतातंत्र” , योगसार तथा “योगशतक”।
प्रश्न 17. फास्ट फूड से शरीर पर होने वाले प्रभाव को समझाइए ?
उत्तर फास्ट फूड से शरीर पर होने वाले प्रभाव निम्नलिखित हैं :–
1 पोषक तत्वों की मात्रा कम होने के कारण शरीर को कम ऊर्जा प्राप्त होती है , जिससे थकान बनी रहती है।
2 वसा की मात्रा अधिक होने के कारण वजन तेजी से बढ़ता है ।
3 मोटापा और विकृत मानसिकता फास्ट फूड के कारण उत्पन्न होती है।
4 इसके सेवन से उच्च रक्तचाप , गुर्दे के रोग , गठिया व मधुमेह रोग की संभावना बनी रहती है।
प्रश्न 18. स्वास्थ्य के महत्व का वर्णन करो।
उत्तर स्वास्थ्य का प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में अत्यंत महत्व है । स्वस्थ होने पर ही हम शारीरिक मानसिक तथा सामाजिक रूप से अपनी क्षमताओं का अधिक उपयोग कर सकते हैं । स्वस्थ रहकर हम सुखी जीवन व्यतीत कर सकते हैं। निरोगी होना हमारे अच्छे स्वास्थ्य का प्रमुख लक्षण हैं। स्वस्थ व्यक्ति ही स्वस्थ और मजबूत राष्ट्र का निर्माण करता है।
प्रश्न 19. संतुलित भोजन को संक्षिप्त में समझाइए ? उत्तर 1.कार्बोहाइड्रेट :– यह हमारे शरीर के लिए प्रमुख ऊर्जा स्रोत है। यद्यपि यह बहुत समृद्ध स्रोत नहीं है किंतु यह ऊर्जा का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। सामान्य कार्बोहाइड्रेट हमारे आहार में निहित कुल भोजन ऊर्जा का 60% से 80% अंश प्रदान करते हैं।
2. वसा :– वसा ऑक्सीकरण में कार्बोहाइड्रेट की तुलना में दोगुनी ऊर्जा प्रदान करते हैं । इसका कारण यह है कि वसा अणुओं में कम ऑक्सीजन होती है।
3. प्रोटीन :– प्रोटीन उन पोषक वर्ग के सदस्य हैं जिनसे कि हमारा शरीर प्रमुखतया बना है। जीव द्रव्य में जल के अलावा शेष भाग अधिकांश प्रोटीन ही है।
4. जल तथा रूक्षांश:– संतुलित आहार में जल तथा रूक्षांश का बराबर महत्व है । जल कोशिका – द्रव्य रुधिर प्लाज्मा तथा उत्तकों के अंतः कोशिका – द्रव्य में उपस्थित होते हैं।
5. खनिज लवण :– हमें लोहा (fe) , जिंक , आयोडीन, नमक, कैलशियम फास्फेट जैसे अनेक अन्य धातु तथा लवणों की आवश्यकता अपने शरीर की विभिन्न क्रियाओं के लिए होती है।
6. विटामिन :– विटामिन हमारे पोषकों में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं । उपाचय में इसका महत्वपूर्ण योगदान है।
* संतुलित भोजन के घटक:–
1. ऊर्जा देने वाले घटक :- कार्बोहाइड्रेट ,वसा
2. शरीर निर्माण करने वाले घटक :–प्रोटीन
3. रक्षा करने वाले घटक :– विटामिन , खनिज लवण
4. जल व रुक्षांश :– रेशेदार भोजन।
* विटामिन :—
* विटामिन a (ए) – ( वसा में घुलनशील)
स्रोत :– हरी पत्तेदार सब्जियां, गाजर, मछली ,लीवर, तेल, कलेनी।
मुख्य रोग – रतौंधी
प्रभाव — रात्रि में दिखाई नहीं देना।
* विटामिन बी(b) – (जल में घुलनशील)
स्रोत – दूध, समुद्री भोजन, सोयाबीन, साबुत अन्न, हरी सब्जियां, अंकुरित दालें , मांस , आलू ।
मुख्य रोग — बैरी – बैरी
प्रभाव — भूख में कमी, कमजोरी ,पेशियों की निष्क्रियता, सिरदर्द, पक्षाघात।
* विटामिन सी(c) – ( जल में घुलनशील )
स्रोत — दाल, रस, विशेषकर फल, निंबू, ऑवला , संतरा, अमरुद।
मुख्य रोग — स्कर्वी
प्रभाव — मसूड़ों में रक्त आना , त्वचा पर लाल धब्बे व चटके ।
* विटामिन डी (d) – (वसा में घुलनशील )
स्रोत — दूध ,मछली, लीवर ,तेल, अंडा ,सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में स्वयं भी निर्मित करता है ।
मुख्य रोग — रिकेट्स
प्रभाव — बच्चों का सूखा रोग व उपस्थित में असामान्यता व दांतों की वृद्धि में रुकावट।
* विटामिन ई (e) – (वसा में घुलनशील)
स्रोत :– हरी पत्तेदार सब्जियां ,दूध , मक्खन , टमाटर, यकृत, सोयाबीन ।
मुख्य रोग — बन्ध्यता , पक्षाघात
प्रभाव — इसकी कमी से जनन उपकला क्षतिग्रस्त हो जाती है, व बन्ध्यता उत्पन्न हो जाती है। तंत्रिका पेशिया है।
* विटामिन k (के) – (वसा में घुलनशील)
स्रोत — दूध उत्पाद , बादाम, पालक, सूर्यमुखी के बीज, सोयाबीन, टमाटर, हरी सब्जियां।
रोग — हेमरेज
प्रभाव — रक्त का थक्का नहीं जमना व रक्त का अविरल बहना।
* कार्बोहाइड्रेट के प्रमुख उत्पाद :– चावल, इडली, रोटी (गेहूं, ज्वार ,बाजरा), पूरी , कसावा , सामान्य शक्कर , शहद , गुड़ , डबल रोटी , भूमिगत कंद -जैसे — आलू, अरबी, शकरकंद , मीठे रसीले फल ।
* वसा के प्रमुख उत्पाद :– मक्खन, मूंगफली , घी ,.वनस्पति तेल (सरसों , मूंगफली, सूरजमुखी) गिरी, मांस से प्राप्त जंतु, वसा।
* प्रोटीन के प्रमुख उत्पाद :– अंडे , मांस, मछली, दूध, पनीर , चीज, मूंगफली, दाले , मटर , सोयाबीन।
* खनिज कैल्शियम के प्रमुख उत्पाद :– दूध, दही , हरी सब्जियां, रागी।
* लोहा के प्रमुख उत्पाद :– कलेजी , अंडे, मांस , मटर , सूखे मेवे, हरी पत्तेदार सब्जियां, गुड़।
फास्फोरस के प्रमुख उत्पाद :– दूध, दही, हरी पत्तेदार सब्जियां।
* सल्फर के प्रमुख उत्पाद :— अंडे की जर्दी , हरी पत्तेदार सब्जियां ।
* आयोडीन के प्रमुख उत्पाद :– समुद्री भोजन।