राष्ट्रीय आंदोलन के उद्भव के कारण

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राष्ट्रीय आंदोलन के उद्भव के कारण

 

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राष्ट्रीय आंदोलन के उद्भव के कारण
प्रश्न 1. भारत कब आजाद हुआ?
उत्तर 15 अगस्त 1947 ।
प्रश्न 2. भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के उदय एवं विकास के लक्षण क्या थे?
उत्तर हमारे देश में राष्ट्रीय आंदोलन का उदय एवं विकास साम्राज्यवादी व्यवस्था की उपज है। जिसके दो महत्वपूर्ण अंतर संबंधित लक्षण है – उद्भव के विभिन्न स्तरों पर साम्राज्यवाद और स्वशासन की आकांक्षा का सुदृढ़ीकरण ।
प्रश्न 3. राष्ट्रीय आंदोलन के उद्भव के कारणों में सामाजिक एवं सांस्कृतिक पुनर्जागरण भी एक महत्वपूर्ण कारण था, समझाइए ।
उत्तर सामाजिक तथा सांस्कृतिक क्षेत्र में आधुनिक भारतीय पुनर्जागरण ने भारतीय राष्ट्रवाद के विकास के लिए भाव भूमि तैयार की। भारतीय पुनर्जागरण के जनक स्वामी दयानंद सरस्वती एवं राजा राममोहन राय थे । उनके द्वारा स्थापित आर्य समाज एवं ब्रह्म समाज ने भारत में सामाजिक व सांस्कृतिक पुनर्जागरण में सहयोग किया। स्वामी दयानंद ने धार्मिक बुराइयों और सामाजिक अंधविश्वासों पर प्रहार किया । स्वराज्य शब्द पर स्वामी जी द्वारा विशेष बल देने के कारण आर्य समाज के आंदोलन ने राष्ट्रीय चरित्र धारण कर लिया।
प्रश्न 4. आर्य समाज व ब्रह्म समाज की स्थापना किसने की ?
उत्तर दयानंद सरस्वती ने 1815 में आर्य समाज की स्थापना की।
राजा राममोहन राय ने 1828 में ब्रह्म समाज की स्थापना की ।
प्रश्न 5. रोमन रोलां ने दयानंद सरस्वती की प्रशंसा करते हुए क्या कहा?
उत्तर रोमन रोलां ने स्वामी दयानंद सरस्वती की प्रशंसा करते हुए उन्हें हरक्यूलिस की शक्ति सहित, इलियड या गीता का नायक कहा ।
प्रश्न 6. साम्राज्यवादी शक्ति ने भारत में एक राजनीतिक एकता स्थापित की, क्या आप सहमत हैं?
उत्तर साम्राज्यवादी इंग्लैंड ने उत्तर में हिमालय से दक्षिण में कन्याकुमारी तक और पूर्व में बंगाल से पश्चिम में दर्रा खैबर तक समस्त भारत विजय कर लिया ।भारतीय प्रांत प्रत्यक्ष रूप से अधीन थे भारतीय रियासतें ‘अप्रत्यक्ष रूप’ से इनके अधीन थी। अंग्रेजी शक्ति ने भारत पर एक राजनीतिक एकता लाद दी थी। एक सी अधीनता, एक सी समस्याएं, एक से कानूनों ने ,भारत को एक ढांचे में ढालना आरंभ कर दिया।
प्रश्न 7. अंग्रेजों द्वारा प्रशासनिक एकता किस प्रकार स्थापित की गई ?
उत्तर पर्सीवैल स्पीयर के अनुसार — अंग्रेजी प्रशासन का सबसे प्रमुख अंग था उसकी अवैयक्तिता अर्थात उच्च स्तरीय प्रशासकों (वायसराय अथवा सचिवों) के बदलने पर प्रशासन में परिवर्तन नहीं आते थे जैसे कि इससे पूर्व के सभी साम्राज्य के विषय में होता था। एक ही प्रकार का न्यायिक ढांचा , संहिता बद्ध , फौजदारी तथा दीवानी कानून जिस पर दृढ़ता से आचरण होता था, भारत के एक कोने से दूसरे कोने तक चलता था । इसने भारत की पुरानी चली आ रही सांस्कृतिक एकता को एक नए प्रकार की राजनीतिक एकता भी प्रदान की।
प्रश्न 8. राष्ट्रवाद के उदय में तीव्र परिवहन एवं संचार के साधनों ने किस प्रकार अपना योगदान दिया?
उत्तर अंग्रेजों ने प्रशासनिक सुविधाएं , सैनिक रक्षा के उद्देश्य , आर्थिक विस्तार तथा व्यापारिक शोषण की बातों का ध्यान रखते हुए ही परिवहन के तीव्र साधनों की योजनाएं बनाई। परंतु देश को बांधने वाला सबसे बड़ा साधन रेलवे थी। 1853 के उपरांत देश में रेल लाइनें आरंभ हो गई ।

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एडिशन आरनल्ड ने लिखा था – ” रेलवे भारत के लिए वह कार्य कर देगी जो बड़े-बड़े वंशो ने पहले कभी नहीं किया जो अकबर अपनी दयाशीलता अथवा टीपू अपनी उग्रता द्वारा नहीं कर सके। वे भारत को एक राष्ट्र नहीं बना सके।”
1850 के उपरांत आरंभ हुई आधुनिक डाक व्यवस्था तथा बिजली के तार ने देश को समेकित करने में सहायता की। डाक खानों के द्वारा, जो देश के कोने कोने में काम करते थे, राष्ट्रीय साहित्य स्थान-स्थान पर भेजा जा सकता था। संदेशों के शीघ्र अति शीघ्र भेजने में बिजली के तारों ने क्रांति ला दी ।
प्रश्न 9. भारत में रेलवे की शुरुआत कब से हुई?
उत्तर। 1853 में।
प्रश्न 10. भारत में अंग्रेजी शिक्षा का आरंभ / शुरुआत कब व किसके द्वारा हुई?
उत्तर सर चार्ल्स , ट्रेविलियन, टी. वी. मैकाले तथा लॉर्ड विलियम बेंटिक( समकालीन गवर्नर जनरल) ने 1835 में देश में अंग्रेजी शिक्षा का श्रीगणेश किया ।
प्रश्न 11. भारतीय बुद्धिजीवियों में स्वतंत्रता, राष्ट्रीयता कथा स्वशासन की भावनाएं किन विचारकों के साहित्यों से प्रभावित हुई?
उत्तर मिल्टन, शैली, बेंथम, मिल, स्पेन्सर , रूसो तथा वॉल्टेयर ने भारतीय बुद्धिजीवियों में स्वतंत्रता , राष्ट्रीयता तथा स्वशासन की भावनाएं जगा दी और उन्हें अंग्रेज साम्राज्य का विरोधाभास अखरने लगा ।
प्रश्न 12. अंग्रेजी भाषा में भारतीयों को एकता के सूत्र में बांध दिया, कैसे बताइए?
उत्तर भारत के सभी भागों में अंग्रेजी भाषा के प्रसार तथा लोकप्रियता के कारण शिक्षित भारतीयों को यह एक संपूर्ण भाषा के रूप में मिल गई थी । जिसके माध्यम से वे एक- दूसरे को अपने विचारों से अवगत करा सके।
उस समय एक पंजाबी के लिए एक तमिल भाषी अथवा एक साधारण बंगाली के लिए मराठी भाषा – भाषी से विचार विमर्श करना लगभग असंभव सा हो गया था। तब अंग्रेजी भाषा ने इन सबको एक ही मंच पर लाकर खड़ा कर दिया।
प्रश्न 13 . भारत में जनमत और राष्ट्रीयता के प्रचार में भूमिका निभाने वाले समाचार – पत्रों के नाम लिखो?
उत्तर दि इंडियन मिरर , दि बंगाली , दि बाम्बे क्रॉनिकल, दि हिंदू पेट्रियट , दि मराठा, दि केसरी, दि आंध्र प्रकाशिका , दि हिंदू, दि इंदु प्रकाश , इत्यादि अनेकों अंग्रेजी तथा भारतीय भाषा समाचार – पत्रों ने इस क्षेत्र में बहुत कार्य किया।
प्रश्न 14. मध्यमवर्गी बुद्धिजीवियों के उत्थान में किस प्रकार राष्ट्रवाद को नेतृत्व प्रदान किया?
उत्तर अंग्रेजों के प्रशासनिक तथा आर्थिक क्षेत्र की नवीन प्रक्रिया से नगरों में एक नवीन मध्यमवर्गीय नागरिकों की एक श्रेणी उत्पन्न हुई। इस नवीन श्रेणी ने तत्परता से अंग्रेजी भाषा सीख ली। क्योंकि इससे नियुक्तियां प्राप्त करने में सुविधा हो जाती है। और दूसरों से सम्मान भी मिलता था ।
यह मध्यम वर्ग आधुनिक भारत की नवीन आत्मा बन गया तथा इसने समस्त भारत ने अपनी शक्ति का संचार कर दिया। इसी वर्ग ने अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को इसके विकास के सभी चरणों में नेतृत्व प्रदान किया ।
प्रश्न 15. समकालीन यूरोपीय आंदोलन का प्रभाव किस प्रकार राष्ट्रवाद पर पड़ा।
उत्तर राष्ट्रवाद की उन तेज लहरों ने जो समकालीन समस्त यूरोपीय देशों तथा दक्षिण अफ्रीका को प्रभावित कर रही थी, भारतीय राष्ट्रवाद को भी स्फूर्ति प्रदान की। स्पेन तथा पुर्तगाल के दक्षिणी अमेरिका साम्राज्यों के खंडहरों पर अनेक राष्ट्रीय राज्य स्थापित हो रहे थे। सुरेंद्रनाथ बनर्जी तथा लाजपतराय ने मेजिनी तथा उसके द्वारा आरंभ किए गए तरुण इटली आंदोलन पर तथा गैरीवाल्डी और कार्बोनरी आंदोलनों पर व्याख्यान दिए तथा लेख लिखें।
प्रश्न 16. जातीय भेद ने किस प्रकार भारतीय जन मानस को उद्वेलित किया?
उत्तर जातिय भेद की भावना ने भारतीयों को राष्ट्रीय रूप से एक होने के लिए प्रेरित किया । जातिगत भेद के आधार पर अंग्रेजों की भारतीयों से घृणा की प्रतिक्रिया से भारतीयों में राष्ट्रवादी भावनाओं का उदय हुआ। अंग्रेजों द्वारा श्वेत जाति की श्रेष्ठता का विचार, भारतीयों के प्रति अभिमानी एवं उद्दंड रवैया, भारतीयों के रंग, भाषा , धर्म एवं सामाजिक रीति-रिवाजों की उपेक्षा तथा सार्वजनिक जीवन में भारतीयों के बार-बार तिरस्कार भारतीयों के लिए असहनीय था।
प्रश्न 17. 1857 की क्रांति ने राष्ट्रीय आंदोलन हेतु महत्वपूर्ण आधारशिला रखी? समझाइए।
उत्तर 1857 की आजादी की लड़ाई :– 1857 की आजादी की लड़ाई ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन हेतु महत्वपूर्ण आधारशिला थी । यह भारत में राष्ट्रीय जागरण का अति महत्वपूर्ण प्रारंभिक चरण था। इस स्वतंत्रता की लड़ाई में ब्रिटिश साम्राज्य के विरुद्ध सैनिक तथा देशी राजाओं ने अपना योगदान दिया। हालांकि यह संघर्ष अपने उद्देश्य में पूर्णरूपेण सफल नहीं हुआ, किंतु इसने ब्रिटिश शासकों के मस्तिष्क पटल पर गहरी छाप छोड़ी और उन्हें झकझोर कर रख दिया ।
साथ ही यह संघर्ष भारतीय जनमानस में ऊर्जा का संचार करने तथा उन्हें एकता के सूत्र में पिरोने में सफल रहा । जिसके परिणाम स्वरूप भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की आजादी की रूपरेखा व दिशा तय हो सकी।
प्रश्न 18. भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की किन्ही पांच विशेषताओं का वर्णन करो ।
उत्तर 1. लंबी अवधि :— वैसे तो भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का प्रारंभ 18 वीं सदी के मध्य में ही हो गया था। फिर भी अट्ठारह सौ सत्तावन ईसवी में प्रथम स्वतंत्रता संग्राम शुरू हुआ और 1885 ईसवी में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के साथ आंदोलन का जो रूप उपस्थित हुआ , उनकी समाप्ति 15 अगस्त 1947 को हुई।
2. शांतिपूर्ण तथा क्रांतिकारी :— भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में मुख्यतः शांतिपूर्ण तरीकों को ही अपनाया गया। जिसका नेतृत्व महात्मा गांधी ने किया । सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह के द्वारा उन्होंने भारत की स्वतंत्रता प्राप्त की। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि भारतीयों ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अतिवादी तथा क्रांतिकारी तरीकों का प्रयोग नहीं किया। क्रांतिकारी साधनों का भी प्रयोग किया गया।
1942 ईस्वी में महात्मा गांधी को भी कहना पड़ा , ” ब्रिटिश सरकार शक्ति के बिना भारत नहीं छोड़ सकती है ।”
3. संवैधानिक विकास :– भारत में राष्ट्रीय आंदोलन और संवैधानिक विकास साथ साथ चलते रहे। 1861, 1892, 1909, 1919 तथा 1935 ईसवी के भारतीय परिषद अधिनियम तथा भारत शासन अधिनियम को पारित कर उत्तरदाई शासन की नींव डाली गई । पुनः 1942 ईस्वी में भारत छोड़ो आंदोलन हुआ, जिसके परिणाम स्वरूप 1947 ईस्वी में भारत स्वतंत्रता अधिनियम के तहत भारत में विदेशी सत्ता की समाप्ति हुई ।
4. विश्वव्यापी प्रभाव :– भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का विश्वव्यापी प्रभाव पड़ा। इसमें प्रभावित होकर बर्मा, इंडोनेशिया एवं अफ्रीकी राष्ट्रों ने स्वतंत्रता की लड़ाई प्रारंभ कर दी।
5. जन – आंदोलन :– भारत का राष्ट्रीय आंदोलन प्रारंभ में बुद्धिजीवियों द्वारा चलाया गया। लेकिन बाद में इसने जन-आंदोलन का रूप धारण कर किसानों और मजदूरों को भी अपने में शामिल कर लिया । उदाहरण के लिए 1858 से 62 के वर्षों में पूर्वी बंगाल का। ‘नील विद्रोह ‘ है उत्तरी तथा उत्तर – पश्चिमी भारत में जन-अशांति, महाराष्ट्र के किसान आंदोलन आदि को लिया जा सकता है।. बाद में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन, सत्याग्रह आंदोलन तथा ‘भारत छोड़ो ‘ आंदोलन ने भारतीय जनता को आकर्षित किया।

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प्रश्न 19 निम्न संस्थाओं की स्थापना कब हुई?
उत्तर 1. ब्रिटिश इंडियन एसोसिएशन :– 1851
2. पूना सार्वजनिक सभा :– 1867
3. इंडियन लीग :– 1875
4. इंडियन एसोसिएशन :– 1876
5. राष्ट्रीय कांग्रेस :– 1885
प्रश्न 20. राष्ट्रीय आंदोलन राष्ट्रीय था, इस पर संदेह करने वाले विचारकों के विचार लिखो?
उत्तर बहुत से लोगों का विचार है कि स्वतंत्रता संग्राम को राष्ट्रीय आंदोलन की संज्ञा नहीं दी जा सकती। क्योंकि संपूर्ण भारत कभी एक राष्ट्र नहीं रहा और उसमें मौलिक एकता का हमेशा अभाव रहा।
सर जॉन सिले ने कहा है , — ” यह विचार कि भारत एक राष्ट्र है एक गंभीर भूल पर आधारित है, जिसे राजनीतिक विज्ञान दूर करता है।”
जॉन स्ट्रेची ने भी ऐसा विचार दिया है, – ” भारत वर्ष न एक है, ना कभी एक था , और न इसमें किसी प्रकार का भौगोलिक, राजनीतिक, सामाजिक अथवा धार्मिक एकता ही थी।”
प्रश्न 21. राष्ट्रीय आंदोलन का काल कब से कब तक माना जाता है ?
उत्तर 1857 से 1947 तक।
भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का प्रादुर्भाव 1857 की आजादी की लड़ाई के साथ हुआ। स्वतंत्रता हेतु यह संघर्ष 1947 तक अनवरत चला । स्वतंत्रता आंदोलन की अनवरत चली लंबी संघर्ष अवधि को राष्ट्रीय आंदोलन का काल कहते हैं।
प्रश्न 22. राष्ट्रीय आंदोलन कितने चरणों में संपन्न हुआ?
उत्तर राष्ट्रीय आंदोलन 3 चरणों में संपन्न हुआ :–
1. उदारवादी युग ।
2. अतिवादी युग ।
3. गांधीवादी और क्रांतिकारी युग।
प्रश्न 23. उदारवादी युग से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर 1885 से 1905 तक के काल को उदारवादी काल कहते हैं ।‌प्रारंभ में इसका लक्ष्य शासन में सुधार लाना और भारतीयों को उसमें अधिक से अधिक हिस्सा दिलाना था । उनके तरीके शांतिपूर्ण एवं अनुनय विनय पूर्ण थे ।
प्रश्न 24. अतिवादी युग से क्या अभिप्राय है?
उत्तर 1996 से 1922 तक के काल को अतिवादी युग कहते हैं । इन्होंने पूर्ण स्वराज्य की प्राप्ति को अपना लक्ष्य निर्धारित किया । इनका प्रमुख कार्यक्रम स्वदेशी बहिष्कार तथा राष्ट्रीय शिक्षा था।

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प्रश्न 25 . राष्ट्रीय आंदोलन का अंतिम चरण संयुक्त चरण क्यों कहलाया?
उत्तर राष्ट्रीय आंदोलन का अंतिम चरण 1922 से 1947 तक था । इसमें क्रांतिकारी एवं गांधीवादी आंदोलन शामिल था, इसलिए यह संयुक्त चरण कहलाता है।

Notes In Hindi

भूगोल एक विषय के रूप में

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