Rajasthan Me Paryatan राजस्थान में पर्यटन

Rajasthan Me Paryatan राजस्थान में पर्यटन

Rajasthan Me Paryatan राजस्थान में पर्यटन

पर्यटन शब्द — ग्रीक भाषा — टोर्नोस ( TORNOS) से बना है। जिसका अर्थ है– टर्न टू ए वे (TURISUM) ट्यूरिज्म।
1925 में (प्रथम विश्व युद्ध के बाद) राष्ट्र संघ के द्वारा विश्व में पर्यटन के विकास हेतु ‘विश्व पर्यटन संगठन’ निजी क्षेत्र में स्थापित किया गया।
27 सितंबर को “अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन दिवस” मनाया जाता है।
27 सितंबर 1970 में (UNO) ‘संयुक्त राष्ट्र संघ’ ने विश्व पर्यटन संगठन को कानूनी मानयता दी।
1977 में विश्व पर्यटन संगठन को UNO की एक एजेंसी (सहयोगी संगठन) बना दिया गया ।
विश्व पर्यटन संगठन (WTO)का मुख्यालय ‘मेड्रिड’ (स्पेन की राजधानी) में है।
भारत में 1966 में ‘भारतीय पर्यटन विभाग’ की स्थापना की गई ।
राष्ट्रीय पर्यटन दिवस — 25 जनवरी को मनाया जाता है ( इसी दिन ‘राष्ट्रीय मतदाता दिवस’ भी होता है।)

राजस्थान में पर्यटन का महत्व :-

1. विदेशी मुद्रा प्राप्त करना
2. विरासत – धरोहर संरक्षण
3. आर्थिक-सामाजिक विकास एवं रोजगार सृजन
* राजस्थान के ‘पर्यटन उद्योग’ का विदेशी मुद्रा प्राप्त करने में ‘दूसरा’ स्थान है। जबकि विदेशी मुद्रा प्राप्त करने में प्रथम स्थान एफ.डी.आई. का है।
* राजस्थान में ऐतिहासिक स्थलों के महत्व का सर्वप्रथम उल्लेख कर्नल जेम्स टॉड ने अपनी किताब “ट्रैवल इन वेस्टर्न इंडिया” रचना में किया था।

Rajasthan Me Paryatan का स्वरूप 

इसके लिए दिसंबर 1995 में जयपुर में एक सम्मेलन ‘पर्यटन निवेश सम्मेलन’ आयोजित किया गया था।
इसमे सहयोगी देश था — सिंगापुर ।
(इस सम्मेलन में Rajasthan Me Paryatan के स्वरूप का निर्धारण/ या एक प्रारूप तैयार किया गया था।)

* राजस्थान में चार प्रकार का पर्यटन स्वरूप है :–
1. ऐतिहासिक पर्यटन
2. सांस्कृतिक पर्यटन
3. प्राकृतिक पर्यटन और
4. वन्यजीव पर्यटन

* वर्तमान में भारत में राजस्थान की स्थिति
(पर्यटन की दृष्टि से) :–
* विदेशी पर्यटक :–
राजस्थान में सर्वाधिक विदेशी पर्यटक :– फ्रांस , ब्रिटेन , यू.एस.ए. व जर्मनी से आते हैं ।
राजस्थान का भारत में विदेशी पर्यटक की दृष्टि से पांचवा (5वां) स्थान है।
राजस्थान में सर्वाधिक विदेशी पर्यटक — जयपुर, उदयपुर शहर में आते हैं।
सर्वाधिक विदेशी पर्यटक मार्च महीने में आते हैं , और सबसे कम (न्यूनतम) जून महीने में आते हैं ।
* स्वदेशी पर्यटक :–
राजस्थान का स्वदेशी (देशी) पर्यटक की दृष्टि से भारत में सातवां (7वां) स्थान है।
सर्वाधिक स्वदेशी पर्यटक अजमेर /पुष्कर में आते हैं।
राजस्थान में सर्वाधिक स्वदेशी पर्यटक सितंबर माह में और सबसे कम (न्यूनतम) जून माह में आते हैं।
* राजस्थान में पर्यटन से सर्वाधिक ‘राजस्व आय’ प्राप्त करने वाला स्थान आमेर (जयपुर) है।
* राजस्थान में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए दिए गए प्रयास :–
* राजस्थान में पर्यटन संबंधी संस्थागत प्रयास :–
सन् 1955 में (एकीकरण के समय) राजस्थान में ‘पर्यटन निदेशालय’ की स्थापना की गई।
सन् 1956 में ‘पर्यटन विभाग’ की स्थापना की गई ।
सन् 1965 में ‘राजस्थान राज्य होटल विकास निगम’ की जयपुर में स्थापना की गई।
* इसका प्रमुख कार्य था — पर्यटकों को भोजन, व आवास् सुविधाएं उपलब्ध करवाना।
1978 में ( आर.टी.डी.सी. ) ‘राजस्थान पर्यटन विकास निगम’ की स्थापना जयपुर में की गई ।
लेकिन इसका कार्य 1 अप्रैल 1979 से प्रारंभ किया गया।
राजस्थान में इसका उद्देश्य पर्यटकों को भोजन , आवास, व यातायात की सुविधाएं उपलब्ध करवाना था ।
वर्तमान में राजस्थान में ‘पर्यटन विकास’ की शीर्ष संस्था RTDC (राजस्थान टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ) है।
* राजस्थान में पर्यटन विभाग के लोगो (ध्येय वाक्य / पंचलाइन ):–
आर.टी.डी.सी. (राजस्थान पर्यटन विकास निगम) की स्थापना 1978 के समय पर्यटन विभाग का लोगो था — “ढोला मारू” (मोनोग्राम)
1993 में (ललित के. पंवार – तत्कालीन पर्यटन निदेशक द्वारा) सर्वप्रथम ” पधारो म्हारा देश ” लोगो दिया गया।
2008 में — ” कलरफुल राजस्थान (रंगीलो राजस्थान) “
15 जनवरी 2016 में लोगो था — “जाने क्या दिख जाए”
वर्तमान में जनवरी 2019 में — “पधारो म्हारा देश” लोगो है। ( मुख्यमंत्री अशोक गहलोत)
* 1993 में मुख्यमंत्री थे — भैरव सिंह शेखावत ।
( यह भी अशोक गहलोत की तरह तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने थे।)
* पर्यटन विभाग का प्रतीक (शुभंकर) है : —
” राजस्थान भारत का अतुल्य राज्य “
* 4 मार्च 1989 को “मोहम्मद यूनुस खान समिति” की सिफारिश पर पर्यटन को ‘उद्योग का दर्जा’ दिया गया।
( भारत में वह प्रथम राज्य ‘राजस्थान’ था जहां पर पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया गया ।)
* राजस्थान सरकार द्वारा 29 अक्टूबर 1996 को रित्तमान ( RITTMAN ) “राजस्थान इंस्टीट्यूट ऑफ टूरिज्म एंड ट्रैवल मैनेजमेंट” की स्थापना की गई।
रित्तमान का उद्देश्य था — पर्यटन के लिए मानव संसाधन का विकास करना और नवीन जानकारी एकत्र करना , तथा उनको उपलब्ध करवाना।
* पर्यटन विकास के लिए राजस्थान की शीर्ष संस्थान — RITTMAN है ,
जबकि सबसे बड़ी शीर्ष संस्था — RTDC है।
* प्रथम पर्यटन नीति — 27 सितंबर 2001 के अनुसार — इस नीति का उद्देश्य था — पर्यटन को जन उद्योग के रूप में स्थापित करना तथा आर्थिक , सामाजिक, विकास करना।
2004 – 05 में पर्यटन उद्योग को “जन उद्योग” (पब्लिक इंडस्ट्रीज) का दर्जा दिया गया।
पर्यटन को ‘निर्धुम उद्योग’ ( धुंआरहित उद्योग) पॉल्यूशन फ्री इंडस्ट्री ।
पर्यटन उद्योग को “पर्यावरण अनुकूल उद्योग” भी कहा जाता है।
* राजस्थान में पर्यटन विकास के लिए किए गए प्रयास :–
* पुरातात्विक पर्यटन संभाग — 7 ( बीकानेर , जयपुर , जोधपुर , कोटा, भरतपुर, अजमेर और भरतपुर)
और इनमें सबसे नवीनतम पुरातात्विक पर्यटन संभाग अजमेर है।
* राजस्थान के प्रमुख पर्यटन संभाग — 4 है ।
1. जोधपुर 2. उदयपुर 3. अजमेर 4. कोटा

 

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