Raajaneeti Vigyaan Ka Paramparaagat Aur Aadhunik Drshtikon

Raajaneeti Vigyaan Ka Paramparaagat Aur Aadhunik Drshtikon

राजनीति विज्ञान का परंपरागत और आधुनिक दृष्टिकोण

Raajaneeti Vigyaan Ka Paramparaagat Aur Aadhunik Drshtikon
वस्तुनिष्ठ प्रश्न :–
प्रश्न 1. व्यवहारवादी उपागम मुख्यत: संबंधित होते हैं?
उत्तर राजनीतिक व्यवहार से।
प्रश्न 2. चार्ल्स मेरियम द्वारा रचित पुस्तक का नाम है?
उत्तर न्यू आस्पेक्ट्स ऑफ पॉलिटिक्स ।
प्रश्न 3. व्यवहारवाद का अर्थ है?
उत्तर अनुभववाद।
प्रश्न 4. ‘कर्म’ व ‘प्रासंगिकता’ संबंधित है?
उत्तर उत्तर – व्यवहारवाद से ।
प्रश्न 5. व्यवहारवाद किस प्रकार की अध्ययन की इकाई पर जोर देता है?
उत्तर लघु – इकाई पर ।
प्रश्न 6. व्यवहारवाद का जनक किसे कहा जाता है?
उत्तर डेविड ईस्टन को।
प्रश्न 7. ‘ तकनीक से पहले तथ्य ‘ इस पर कौन अधिक जोर देता है?
उत्तर उत्तर – व्यवहारवादी ।
प्रश्न 8. ‘ प्रासंगिकता का सिद्धांत ‘ किससे संबंधित है?
उत्तर उत्तर – व्यवहारवाद से।
प्रश्न 9. कर्म तथा प्रासंगिकता पर किसने जोर दिया?
उत्तर उत्तर व्यवहारवाद ने।
प्रश्न 10. डेविड ईस्टन ने उत्तर व्यवहारवाद के कितने लक्षण बताएं ?
उत्तर 7 लक्षण।
प्रश्न 11. ‘ प्रविधि से पूर्व सार ‘ पर कौन अधिक बल देता है ?
उत्तर उत्तर – व्यवहारवाद।
प्रश्न 12. उत्तर – व्यवहारवाद का लक्षण नहीं है?
उत्तर तकनीक पर जोर।
प्रश्न 13. उत्तर – व्यवहारवाद किस पर जोर देता है ?
उत्तर ज्ञान का क्रियात्मक होना।
प्रश्न 14. उत्तर – व्यवहारवाद का लक्षण नहीं है?

Raajaneeti Vigyaan Ka Paramparaagat Aur Aadhunik Drshtikon

उत्तर विशुद्ध विज्ञान ।
* अति लघुत्तरात्मक प्रश्न :–
प्रश्न 1. व्यवहारवाद के कोई चार लक्षण बताइए?
उत्तर चार लक्षण –1. नियमन , 2. सत्यापन, 3. तकनीकों का प्रयोग , 4. परीमाणीकरण ।
प्रश्न 2. व्यवहारवाद की किन्हीं तीन सीमाओं को गिनाए?
उत्तर तीन सीमाएं — 1. अत्यधिक शब्दाडम्बर , 2. मूल्य निरपेक्ष अध्ययन संभव नहीं , 3. प्राविधिक तकनीकों पर अत्यधिक बल ।
प्रश्न 3. व्यवहारवाद की किन्ही दो उपलब्धियों को बताइए?
उत्तर उपलब्धियां — 1. नए राजनीति विज्ञान की स्थापना , 2. अंतर – अनुशासनात्मक दृष्टिकोण की स्थापना।
प्रश्न 4. व्यवहारवाद के किन्ही दो प्रतिपादकों के नाम बताइए?
उत्तर 1. हेराल्ड लासवेल
2. चार्ल्स मेरियम ।
प्रश्न 5. उत्तर – व्यवहारवाद क्या है?
उत्तर उत्तर – व्यवहारवाद व्यवहारवाद का एक सुधार आंदोलन है जिसके दो आधार है — कर्म तथा प्रासंगिकता ।
प्रश्न 6. उत्तर – व्यवहारवादी क्रांति के दो प्रमुख कारण बताइए।
उत्तर 1. व्यवहारवाद के विरुद्ध प्रतिक्रिया,
2. व्यवहारवादी शोध के प्रति असंतोष।
प्रश्न 7. उत्तर – व्यवहारवाद किस प्रकार परंपरावाद से अलग है?
उत्तर 1. विकास की विभिन्न अवस्थाओं में अंतर 2. परंपरागत मूल्यात्मक दृष्टिकोण है, उत्तर – व्यवहारवाद मूल्य तथा यथार्थ ।
प्रश्न 8. उत्तर – व्यवहारवाद तथ्य या मूल्य किस पर जोर देता है ?
उत्तर मूल्य पर अधिक जोर देता है ।
प्रश्न 9. उत्तर – व्यवहारवादी उपागमों में मूल्यों की क्या भूमिका है?
उत्तर मूल्यों की उपयोगिता है। समाज में मूल्य आधारित ज्ञान उपयोगी है ।
प्रश्न 10. उत्तर – व्यवहारवाद के दो आधारभूत लक्षण बताइए?
उत्तर 1. शोध की सार्थकता
2. क्रियानिष्ठता।
प्रश्न 11. व्यवहारवाद व उत्तर व्यवहारवाद के बीच दो प्रमुख अंतर बताइए?
उत्तर 1. विकास की विभिन्न अवस्थाओं में अंतर।
2. प्रासंगिकता का अंतर ।
* लघुत्तरात्मक प्रश्न :–
प्रश्न 1. व्यवहारवादी उपागम क्या है?
उत्तर व्यवहारवादी उपागम राजनीतिक तथ्यों की व्याख्या और विश्लेषण का विशेष तरीका है, जिसे द्वितीय महायुद्ध के पश्चात अमेरिकी राजनीतिशास्त्र द्वारा विकसित किया गया। इसमें व्यक्तिनिष्ठ मूल्यों तथा कल्पनाओं के लिए कोई स्थान नहीं है।
प्रश्न 2. व्यवहारवाद की सीमाएं तथा उपलब्धियां बताइए ?
उत्तर * व्यवहारवाद की सीमाएं :–
1. व्यवहारवादियों के तर्क अर्थहीन और शब्द – जाल ही दिखाई पड़ते हैं।
2. व्यवहारवादी मानव व्यवहार का विज्ञान प्रस्तुत करने में असफल रहे हैं।
3. व्यवहारवादी प्राविधिक तकनीकों पर अत्यधिक बल देते हैं।
4. यह नीति – निर्माण में सहायता देने में असमर्थ हैं ।
5. यह पद्धति अत्यधिक खर्चीली है।
6. यह पद्धति मूल्य निरपेक्ष है।
* व्यवहारवाद की उपलब्धियां :–
1. व्यवहारवादियों ने राजनीति विज्ञान के अध्ययन को मूल्य निरपेक्ष, यथार्थवादी व वस्तुनिष्ट बनाने की कोशिश की है।
2. इसने मानव के राजनीतिक व्यवहार को अपने अध्ययन की इकाई बनाया है।
3. इसने राजनीति विज्ञान में अंतर – अनुशासनात्मक दृष्टिकोण की स्थापना की।
4. इसमें राजनीति विज्ञान को शक्ति, राजनीतिक संस्था आदि अनेक अवधारणाएं प्रदान की है।
प्रश्न 3. उत्तर – व्यवहारवाद क्या है ?
उत्तर उत्तर – व्यवहारवाद एक प्रकार की क्रांति है, जिसने राजनीतिक प्रक्रिया के अध्ययन में ‘ एक नवीन समन्वयात्मक दृष्टिकोण ‘ को प्रस्तुत किया। जिसमें ‘तथ्य’ एवं ‘मूल्य’ दोनों का विवेक – सम्मत समावेश किया गया है । उत्तर – व्यवहारवाद के दो आधार है – कर्म तथा प्रासंगिकता ।

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