Itihas ki Pramukh Ghatnaye
प्रमुख ऐतिहासिक घटनाएं /इतिहास के प्रमुख युद्ध:–
1. तराइन का प्रथम युद्ध – 1191 ईस्वी
पृथ्वीराज चौहान तृतीय व मोहम्मद गौरी के मध्य
इस युद्ध में पृथ्वीराज की विजय हुई
* नोट :- तराइन का मैदान (वर्तमान करनाल, हरियाणा में है)
2. तराइन का द्वितीय युद्ध – 1192 ई.
पृथ्वीराज तृतीय व मोहम्मद गौरी के मध्य
इस युद्ध में मोहम्मद गोरी की जीत हुई
3. रणथंभौर का युद्ध (सवाई माधोपुर)
1301 ईस्वी हम्मीर देव चौहान व अलाउद्दीन खिलजी के मध्य हुआ ।
इस युद्ध में हम्मीर की जीत हुई
4. खातोली का युद्ध (कोटा )1517 ई. या 1518 ई.
महाराणा सांगा व इब्राहिम लोदी के मध्य हुआ।
इस युद्ध में महाराणा सांगा की विजय हुई ।
5. गागरोन का युद्ध (झालावाड़)– 1517 ई.
इस युद्ध में महाराणा सांगा ने सुल्तान महमूद खिलजी द्वित्तीय को हराकर बंदी बनाया था।
6. खानवा का युद्ध – 17 मार्च 1527 ई.
बाबर और राणा सांगा के बीच में हुआ
मुगल सम्राट बाबर की जीत हुई
खानवा का मैदान – भरतपुर जिले की रूपवास तहसील में पड़ता है।
7. पाहेबा का युद्ध – 1541 ईसवी
राव जैतसी व मालदेव के मध्य
पाहेबा का मैदान फलौदी , जोधपुर में है ।
8. गिरी सुमेल का युद्ध (जैतारण , पाली ) —
5 जनवरी 1544 ईस्वी
मारवाड़ शासक मालदेव व शेरशाह सूरी के मध्य हुआ
इस युद्ध में शेरशाह सूरी की जीत हुई।
9. हल्दीघाटी या गोगुंदा का युद्ध – 18 जून या 21 जून 1576 को
इसे खमनोर का युद्ध भी कहा जाता है
महाराणा प्रताप और मुगल प्रशासक मानसिंह के मध्य हुआ।
अकबर की सेनाएं विजयी रही
10. कुंभलगढ़ का युद्ध( राजसमंद) 1578 ईस्वी
राणा प्रताप और मुगल सेनापति शाहबाज खाँ के बीच
कुंभलगढ़ के दुर्ग पर मुगलों का अधिकार हुआ।
11. दिवेर का युद्ध (राजसमंद) अक्टूबर 1582 ई.
महाराणा प्रताप द्वारा शाही ठिकाने पर आक्रमण, युद्ध तथा निर्णय जीत हुई।
12. मतीरे की राड़ /युद्ध /लड़ाई- (बीकानेर)- 1644 ईस्वी
यह युद्ध अमर सिंह राठौड़ (नागौर) व राजा कर्ण सिंह के बीच हुआ।
13. चित्तौड़ का युद्ध — मार्च 1533 ई.
मेवाड़ के विक्रमादित्य व गुजरात के शासक बहादुर शाह के बीच हुआ।
इस युद्ध में बहादुर शाह विजयी हुए।
14. भुताला का युद्ध – 1227 ई.
मेवाड़ के जैत्रसिंह व इल्तुतमिश के मध्य हुआ ।
इस युद्ध में जैत्रसिंह की विजय हुई ।
15. रणथंभौर का युद्ध — 1301 ईस्वी
सन् 1300 में खिलजी ने रणथम्भौर दुर्ग पर गेरा डाला।
फिर रतीपाल व रणमल के विश्वासघात के कारण दुर्ग में सेना प्रवेश कर जाती है ।
1301 में दुर्ग पर अधिकार हो जाता है ।
हम्मीर मारा जाता है।
राजपूताने का पहला जोहर उस समय हुआ था।
हम्मीर की पत्नी रंगदेवी के नेतृत्व में राजपूताने का पहला जौहर होता है।
हम्मीर की पुत्री पद्मला व देवलदे के नेतृत्व में ‘जल जौहर’ होता है।
इस अभियान में अलाउद्दीन के साथ प्रसिद्ध इतिहासकार अमीर खुसरो भी मौजूद था।
जिसने कहा था कि “आज उर्फ /कुर्फ का गढ़ इस्लाम का गढ़ हो गया।”
16.चित्तौड़ का युद्ध — 1303 ई.
रतन सिंह व अलाउद्दीन के मध्य
अलाउद्दीन खिलजी की विजय हुई ।
गोरा बादल (पद्मिनी के चाचा व भाई थे) व रतन सिंह मारे जाते हैं ।
पद्मिनी रानी के नेतृत्व में 1303 में चित्तौड़ का पहला जौहर (पहला सांखा) हुआ था।
खिलजी ने जीत के बाद इस दुर्ग का नाम खिजराबाद रखा था।
17. सिवाणा का युद्ध– 1308 ईस्वी
खिलजी व सातलदेव के मध्य
अलाउद्दीन खिलजी की विजय हुई ।
खिलजी अपने सेनापति कमालुद्दीन घुर्क के नेतृत्व में सिवाणा का अभियान करते हैं।
सिवाणा का 1 सैनिक था (बावले या बायला पँवार) उसके विश्वासघात के कारण सिवाणा पर खिलजी का अधिकार हो जाता है।
फिर खिलजी सिवाणा दुर्ग का नाम ‘खैराबाद’ रख देते हैं।