Bhogilal Pandya भोगीलाल पंड्या
Bhogilal Pandya भोगीलाल पंड्या
जन्म — 13 नवंबर 1904
स्थान — डूंगरपुर जिला( सीमलवाडा गांव)
पिता — पीतांबर पांड्या
माता — श्रीमती नाथीबाई
पत्नी — मणीबेन (1920 में विवाह हुआ)
प्राथमिक शिक्षा — सरकारी स्कूल से प्राप्त की डूंगरपुर
उच्च शिक्षा — अजमेर जाने का फैसला किया
व्यवसाय — डूंगरपुर में हाई सेकेंडरी स्कूल में अध्यापक के रूप में कार्य किया ।
उपनाम — बागड़ का गांधी / आदिवासियों के सच्चे मित्र ।
मृत्यु — 31 मार्च 1981
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य —
पद्मभूषण — 1976 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से नवाजा गया । (समाज सेवा के कारण)
डूंगरपुर में ‘हरिजन सेवा संघ’ की स्थापना की ।
भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उन्होंने 1942 में राजकीय सेवा से त्यागपत्र दे दिया था ।
1 अगस्त 1944 में प्रजामंडल का अध्यक्ष ‘भोगीलाल पंड्या’ को बनाया गया था और महामंत्री श्री शिवलाल कोटडिया को बनाया गया था ।
1946 में प्रजामंडल ने आंदोलन प्रारंभ किया। उस समय आंदोलन के दौरान भोगीलाल पांड्या को 25 साथियों सहित गिरफ्तार कर लिया गया , परंतु उनके अनशन के कारण 15 दिन बाद ही उन्हें रिहा कर दिया गया था।
फिर 30 मई 1947 में पुनवाड़ा में राज्य के द्वारा पाठशाला बंद करने के विरोध में उन्हें गिरफ्तार किया गया, उनके साथ मारपीट भी की गई थी, लेकिन डूंगरपुर जनता द्वारा भारी विद्रोह करने के कारण उन्हें फिर से रिहा करना पड़ा था।
( नोट — इस आंदोलन में रास्तापाल गाँव के स्कूल के मकान मालिक ‘नानाभाई खांट’ और 12 वर्षीय भील कन्या ‘काली बाई’ को अपनी जान गंवानी पड़ी थी।)
25 मार्च 1948 को जब मेवाड़ का संयुक्त राजस्थान में विलय हुआ तब भोगीलाल पंड्या को ‘समाज कल्याण मंत्री’ बनाया गया था।
1970 में उन्हें ‘राजस्थान खादी ग्रामद्योग बोर्ड’ का अध्यक्ष बनाया गया था।
भोगीलाल पंड्या में ‘बागड़ सेवा मंदिर’ नाम से एक संस्था की स्थापना की थी , लेकिन रियासत ने इस संस्था पर प्रतिबंध लगा दिया , तब पांड्या जी ने ‘सेवा संघ’ का गठन किया था।