पाठ 13 अपराजिता (शिवानी)
* प्रश्नोत्तर (सोचिए और बताएं) :–
प्रश्न 1. डॉक्टर चंद्रा ने कौन कौन सी उपाधियाँ प्राप्त की थी?
उत्तर डॉक्टर चंद्रा ने बी. एससी. , प्राणी शास्त्र में एम.एस.सी. और माइक्रोबायोलॉजी में पीएच.डी. की उपाधि प्राप्त की।
प्रश्न 2. लेखिका ने “नशे की गोलियाँ खाने लगा ” वाक्य किस व्यक्ति के लिए कहा और क्यों ?
उत्तर लेखिका ने “नशे की गोलियां खाने लगा” वाक्य लखनऊ के उस युवक के लिए कहा जो इलाहाबाद से आई. ए.एस. की परीक्षा देकर लौटते समय ट्रेन से गिर जाने के कारण अपना हाथ गंवा चुका था।
* अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न :–
प्रश्न 1. “मैडम मैं चाहती हूं कि कोई मुझे सामान्य – सा सहारा भी ना दे ” यह शब्द किसके हैं ?
उत्तर यह शब्द डॉक्टर चंद्रा के हैं ।
प्रश्न 2. लेखिका ने डॉक्टर चंद्रा को सबसे पहले कहाँ देखा ?
उत्तर लेखिका ने डॉक्टर चंद्रा को सबसे पहले उसकी शानदार कोठी के अहाते में कार से उतरते देखा।
प्रश्न 3. वीर जननी पुरस्कार किसे मिला?
उत्तर वीर जननी का पुरस्कार डॉक्टर चंद्रा की माता श्रीमती शारदा सुब्रह्मण्यम को मिला।
* लघुतरात्मक प्रश्न :–
प्रश्न 1. डॉक्टर चंद्रा की शारीरिक अक्षमता उसका साहस थी, कैसे ?
उत्तर डॉक्टर चंद्रा एक महत्वाकांक्षी महिला थी उनका निकला धड़ निर्जीव था, वह किसी से साधारण सा सहारा भी नहीं लेना चाहती थी । उसमें अपंग होने की हीन भावना जरा भी नहीं थी। वह अपना कार्य स्वयं करना चाहती थी, इसलिए उन्होंने एक ऐसी कार बनाई जिसे वह स्वयं चला सके। वह अपनी प्रयोगशाला के कार्यो को सुगम बनाकर उनका संचालन करती थी।
प्रश्न 2. “ईश्वर सब द्वार एक साथ बंद नहीं करता। यदि एक द्वार बंद करता भी है, तो दूसरा द्वार खोल देता है।” चंद्रा की माता जी ने यह बात क्यों कही ?
उत्तर चंद्रा की माता जी ने यह बात इसलिए कही क्योंकि जब डॉक्टर चंद्रा को चिकित्सा विज्ञान में प्रवेश नहीं मिला तो उसने विज्ञान के क्षेत्र में शिक्षा प्राप्त करके उच्चतम सफलता प्राप्त की ।
प्रश्न 3. लखनऊ के छात्र को डॉक्टर चंद्रा से क्या प्रेरणा लेनी चाहिए?
उत्तर लखनऊ के छात्र को डॉक्टर चंद्रा से यह प्रेरणा लेनी चाहिए कि किसी भी परिस्थिति में घबराना नहीं चाहिए। और साहस के साथ उसका मुकाबला करना चाहिए। जिस प्रकार डॉक्टर चंद्रा ने अंपग होते हुए भी हिम्मत नहीं हारी और विज्ञान के क्षेत्र में उच्च शिक्षा प्राप्त करके माइक्रोबायोलॉजी में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
* दीर्घ उत्तरात्मक प्रश्न :–
प्रश्न-1. अपराजिता डॉक्टर चंद्रा की माताजी सहृदयता और वात्सल्य की प्रतिमूर्ति थी, कैसे? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर अपराजिता डॉक्टर चंद्रा की माताजी सहृदयता और वात्सल्य की प्रतिमूर्ति थी । उन्होंने अपनी पुत्री के लिए जो असीम प्रेम और वात्सल्य दर्शाया है, वह अतुलनीय है। उनकी पुत्री चंद्रा शारीरिक रूप से अपंग थी। वह भगवान से निरंतर उसके जीवन के लिए प्रार्थना करती रहती थी। जब एक प्रसिद्ध आर्थोपेडिक सर्जन के विषय में सुना तो वहां 1 वर्ष तक चंद्रा का इलाज करवाया। उसकी उच्च शिक्षा के लिए हर समय उसकी छाया बनकर उसकी व्हीलचेयर के पीछे – पीछे घूमती । अपनी पुत्री की उपलब्धियों में उसका बहुत योगदान रहा श्रीमती शारदा सुब्रमण्यम में अपार शक्ति थी और वह मात्र की मूर्ति थी ।
* पाठ से आगे :–
प्रश्न-1. अपराजिता के स्थान पर आप होते तो क्या करते ? सोचकर लिखिए।
उत्तर अपराजिता के स्थान पर हम होते तो साहस से काम लेते । जीवन को जीने के लिए नई दिशा देते। हम कभी भी निराश नहीं होते और अपने विकास के लिए जहां भी संभावना नजर आती तो उसे पाने का प्रयास करते । हम कभी भी अपनी हिम्मत को टूटने नहीं देते क्योंकि यदि मनुष्य हिम्मत करता है तो भगवान भी उसकी सहायता करता है। हम भी डॉक्टर चंद्रा के समान महत्वाकांक्षी बनते और अपने लक्ष्य को प्राप्त करते ।
प्रश्न 2. पाठ में सम्मिलित निम्न योग्यताओं / परीक्षाओं के पूरे नाम लिखिए।
1. बी.एससी. – बैचलर ऑफ साइंस
2. एम.एससी. – मास्टर ऑफ साइंस
3.पीएच.डी. – डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी
4. आई. ए.एस. – इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विस
5. बी.ए. – बैचलर ऑफ आर्ट्स
6. एम. ए. – मास्टर ऑफ आर्ट्स
7. बी. कॉम. – बैचलर ऑफ कॉमर्स
8. एम. कॉम. – मास्टर ऑफ कॉमर्स
9. बी. एड. – बैचलर ऑफ एजुकेशन।
* अतिरिक्त प्रश्न :-
प्रश्न 1. ” चिकित्सा ने जो खोया है, वह विज्ञान ने पाया है ।” डॉक्टर चंद्रा के प्रोफेसर ने ऐसा क्यों कहा?
उत्तर प्रोफ़ेसर का मानना था कि चंद्रा अपंग होते हुए भी बहुमुखी प्रतिभा की धनी थी। अपनी महत्वाकांक्षा के कारण वह एक चिकित्सक बनना चाहती थी। जिसके लिए उन्होंने कठिन परिश्रम करके मेडिकल परीक्षा में प्रथम स्थान भी प्राप्त किया। लेकिन अपंगता के कारण उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया । इसके बाद भी चंद्रा ने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने अपनी दिशा मोड़ दी और विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ी तथा माइक्रोबायोलॉजी में पी. एच. डी. की उपाधि प्राप्त की। अत: चिकित्सा क्षेत्र में जो खोया वह विज्ञान में पाया।
प्रश्न 2. डॉक्टरेट की उपाधि संयुक्त रूप से किसे और क्यों मिलनी चाहिए?
उत्तर डॉक्टरेट की उपाधि संयुक्त रुप से डॉक्टर चंद्रा और उनकी माता जी श्रीमती शारदा सुब्रमण्यम् को मिलनी चाहिए। क्योंकि उनकी मां ने 25 वर्षों तक अपनी पुत्री के साथ कठिन साधना की थी। पीएच.डी. के शोध कार्य में भी उनका बहुत योगदान रहा था।
* पाठ से आगे :-
प्रश्न-1. ‘ मेरी माँ ‘ विषय पर एक अनुच्छेद लिखिए ।
उत्तर विश्व में सबसे प्यारा शब्द है – माँ । बच्चा आँख खोलते ही विश्व में सबसे पहले जिस चेहरे से परिचित होता है, वह माँ का चेहरा होता है। कहा जाता है कि मां के कदमों में जन्नत होती है। मेरी माँ के लिए मैं कुछ भी कर सकती हूँ । मेरी माँ मेरे लिए सब कुछ है। माँ ईश्वर के द्वारा हमें दिया गया वरदान है। वही जन्मदात्री है, पालन पोषण करने वाली है, संस्कार देने वाली है , उचित मार्गदर्शक है। अतः वह हमारी प्रथम शिक्षक है। और हम यह कह सकते हैं कि एक बालक को मनुष्य बनाने वाली माँ ही है।
प्रश्न 2. नीचे लिखे शब्दों के मानक रूप लिखिए ।
1 द्वार – द् वार
2. बुद्धि – बुद् धि
3. प्रसिद्ध – प्रसिद् ध
4. दीप्त — दीप् त ।