आंकड़े

आंकड़े

अपरिष्कृत आंकड़े :–

1. यह अत्यधिक अव्यवस्थित होते हैं ।2. प्रायः अति विशाल होते हैं, जिन्हे संभालना कठिन होता है। 3.सार्थक निष्कर्ष निकाला श्रमसाध्य होता है।4. सांख्यिकीय विधियों का इन पर प्रयोग संभव नहीं। 5. अपरिष्कृत आंकडे चरों के प्रेषणों से बनते हैं।
कालानुक्रमिक वर्गीकरण:-अपरिष्कृत आंकडों को समय के अनुसार समूहित( वर्गीकृत) करना ही कालानुक्रमिक वर्गीकरण कहलाता है।
उदाहरण :-वार्षिक,मासिक,साप्ताहिक, दैनिक आदि ।
स्थानिक वर्गीकरण :-अपरिष्कृत आंकडों का भौगोलिक सीमाओं के अनुसार वर्गीकरण स्थानिक वर्गीकरण कहलाता है। उदाहरण :-देश, राज्य, जिला, शहर, आदि।
गुण:- ऐसी विशेषताएँ जिन्हें मात्रात्मक रुप में व्यक्त नहीं किया जा सकता हूं विशेषताओं को गुण कहते हैं उदाहरण राष्ट्रीयता साक्षरता धर्म लिंग गाडी गुण आत्मक वर्गीकरण गुणा तक विशेषताओं की उपस्थिति उपस्थिति के आधार पर किए हैं वर्गीकरण को गुण आत्मा को वर्गीकरण कहते हैं मात्रात्मक वर्गीकरण मात्रात्मक विशेषताओं के आधार पर किया जाने वाला वर्गीकरण मात्रात्मक वर्गीकरण कहलाता है सक्षम तक चर संत अक्षर का कोई भी संख्यात्मक मान हो सकता है पूर्णांक दशमलव वित्त चर्बी विचार केवल निश्चित मान होते हैं इसमें एक मान से दूसरे मान के बीच कोई मान नहीं आता है बारंबारता वितरण परिष्कार को उनकी अनुरुप विभिन्न वर्गों में बारंबारता के साथ व्यतीत करने की प्रक्रिया है परिभाषा निम्न वर्ग सीमा उच्च वर्ग सीमा, वर्ग अंतराल, मध्यमान,


 

उदारीकरण:-

सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्रों से प्रतिबंध दूर करना, कुछ विशेष क्षेत्रकों में सुधार।
5. क्षेत्रक:- औद्योगिक क्षेत्र का विनियमीकण, वित्तीय क्षेत्रक सुधार, कर व्यवस्था में सुधार , विदेशी विनिमय सुधार , व्यापार एवं निवेश नीति में सुधार।
निजीकरण:- सरकार द्वारा सार्वजनिक उपक्रम के स्थायित्व या प्रबंधन का त्याग।
वैश्वीकरण:- देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था से जोड़ना,( एकीकृत करना )
बाह्य प्रॉपण :- बाहरी श्रोत( देश) से नियमित सेवाएँ प्राप्त करना ।
G. A.T.T. — व्यापार और सीमा शुल्क महासंधि,
W.T.O. — विश्व व्यापार संगठन।
समीक्षा : – सवृद्धि और रोजगार, कृषि में सुधार, उद्योगों में सुधार , विनीवेश, सुधार और राजकोषीय नीतियाँ


 

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