कक्षा 12 अध्याय 2 — राजा , किसान और नगर
कक्षा 12 अध्याय 2 — राजा , किसान और नगर
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
1. हड़प्पा सभ्यता :— 2500 इसा पूर्व से 1500 ईसा पूर्व
2. वैदिक काल :— 1500 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व
* वैदिक काल :–
1. पूर्व वैदिक काल (ऋगवैदिक काल) 1500 ईसा पूर्व से 1000 ईसा पूर्व
2. उत्तर वैदिक काल (1000 ईसा पूर्व से 600 ईसा पूर्व )
* परिचय :– प्राचीन भारतीय इतिहास में इतिहास अलग-अलग राजवंशों में , राजतंत्रों में बटा हुआ था। लेकिन 600 ईसा पूर्व से 600 ईसवी के बीच की समयावधि में हम मौर्य काल तथा गुप्त काल के बारे में अध्ययन करेंगे।
इस मौर्य काल तथा गुप्त काल के प्रमुख स्रोत निम्न है।
1. मेगस्थनीज — इंडिका
2. कौटिल्य — अर्थशास्त्र
3. कालिदास — अभिज्ञान शकुंतलम
4. शूद्रक — मृच्छकटिकम्
5. विशाखदत्त — मुद्राराक्षस
विष्णु पुराण तथा वायु पुराण से तत्कालीन समय की राजनीतिक आर्थिक जानकारी मिलती है इन जानकारियों का एक प्रमुख आधार अभिलेख है।
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
अभिलेखों का महत्व :-
अभिलेख उन्हें कहा जाता है जो पाषाण (पत्थर) धातु या मिट्टी के बर्तनों आदि पर खुदे होते हैं।
अभिलेखों में तत्कालीन शासक अनेक अपनी उपलब्धियां, विचार तथा क्रियाकलाप आदि लिखवाते थे ।
मौर्यकालीन , प्राचीन महानतम सम्राट अशोक ने भारत के विभिन्न भागों में कई प्रकार के अभिलेख खुदवाए।
इतिहास लेखन में अभिलेख की कितनी अहम भूमिका है इसका अंदाज इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि डी. आर. भंडारकर ने लिखा कि “मात्र अभिलेखों के आधार पर ही अशोक के संपूर्ण समाज की जानकारी को प्राप्त किया जा सकता है।”
* अभिलेखों के अध्ययन को अभिलेख शास्त्र कहते हैं। प्राचीन अभिलेख प्राचीन भाषा में लिखे गए।
* समस्त भारत में अशोक के अभिलेख ब्राह्मी लिपि में पाए गए।
* शाहबाज गढी और मानसेहरा (पाकिस्तान) में अशोक के अभिलेख खरोष्ठी लिपि में पाए गए।
* ब्रह्मी लिपि :– ब्राह्मी लिपि बाएं से दाएं और लिखी जाती थी ।
* खरोष्ठी लिपि :– खरोष्ठी लिपि दाएं से बाएं लिखी जाती थी।
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
अशोक के अभिलेखों का पढ़ा जाना :-
1. 1750 ई. में टीफेन थेलर महोदय ने सर्वप्रथम दिल्ली में अशोक स्तंभ का पता लगाया ।
2. 1831 ई. ईस्ट इंडिया कंपनी के अधिकारी जेम्स प्रिंसेप ने शिलालेखों , सिक्कों में प्रयोग की गई ब्राह्मी लिपि तथा खरोष्ठी लिपि को सर्वप्रथम पड़ा और समझा कि अधिकांश अभिलेखों और सिक्कों पर प्रियदस्सी नाम अंकित थे।
3. अशोक के 14 अभिलेखों में से गिरनार( सौराष्ट्र गुजरात) अभिलेख में प्रियदस्सी शब्द बार-बार लिखा गया है।
* खाखेल का हाथी गुफा अभिलेख :–
1. खाखेल का यह अभिलेख पूरी (उड़ीसा) के हाथी गुफा में मिला है ।
2. यह ब्राह्मी लिपि में लिखित है।
* नागिनिका का नानाघाट अभिलेख :–
1. सातवाहन वंश के कई अभिलेखों में से यह अभिलेख प्रमुख है ।
2. यह पुना (महाराष्ट्र) के नानाघाट में मिला है, जो ब्राह्मी लिपि में लिखित है, इसमें सातवाहन शासक शातकर्णी प्रथम की पत्नी नागनिका में विभिन्न यज्ञों का विवरण दिया है।
3. सातवाहन शासक अपने नाम के आगे अपनी माता का नाम लगाते थे।
* रुद्रदमन का जूनागढ़ अभिलेख :–
1. रुद्रदमन का ब्राह्मी लिपि में स्थित जूनागढ़ एक अत्यंत महत्वपूर्ण अभिलेख था ।
2. इसमें सुदर्शन नामक झील पर निर्मित एक बांध है, जिसकी मरम्मत रुद्रदमन ने कराई थी।
3. इस सुदर्शन झील की जानकारी उपलब्ध कराने का श्रेय जेम्स प्रिंसेप को दिया जाता है ।
4. जेम्स प्रिंसेप ने 1832 में सुदर्शन को” general of Asiatic Society of Bengal ” किताब में प्रकाशित किया।
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
* मगध साम्राज्य :–
1. हर्यंक वंश :–
* बिंबिसार :– मगध साम्राज्य में सर्वप्रथम बिंबिसार ने 544 ईसवी पूर्व में हर्यंक वंश की स्थापना की।
* अजातशत्रु :– 1.अपने पिता बिंबिसार की हत्या करके अजातशत्रु मगध साम्राज्य का सम्राट बना।
2. अजातशत्रु ने वज्जि संघ को प्राप्त करने हेतु “रथ मूसल तथा शीलाकंटक ” नामक हथियारों को प्रयोग में लिया।
3. अजातशत्रु ने प्रथम बौद्ध संगति आयोजित की थी।
* उदायिन :–अजातशत्रु की हत्या करके उदयिन ने मगध साम्राज्य पर अधिकार किया तथा मगध की राजधानी राजगृह में पाटलिपुत्र को बनाया था।
2. शिशुनाग वंश :– हर्यक वंश के कमजोर शासकों के कारण शिशुनाग नामक व्यक्ति ने मगध में अपना साम्राज्य स्थापित किया ।
3. नंदवंश :–
1. नंदवंश की स्थापना महापदम नंद ने की।
2. नंद वंश के अंतिम राजा घनानंद को चाणक्य की सहायता से चंद्रगुप्त ने समाप्त कर मौर्य वंश की स्थापना की।
* मौर्य वंश :–
1. मौर्यवंश की स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य ने की थी।
2. चंद्रगुप्त मौर्य ने 321 ई. पू. को समाप्त करके मौर्य वंश की स्थापना की।
3. यूनानी शासक सेल्यूकस निकेटर को चंद्रगुप्त ने हरा दिया था।
4. जैन मुनी भद्रबाहु से दिशा ग्रहण करके 298 ईसवी पूर्व में श्रवणबेलबोला (कर्नाटक) जाकर चंद्रगुप्त मौर्य ने उपवास (व्रत) के द्वारा अपना शरीर त्याग दिया।
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
* बिंदुसार :–
1. 298 ई.पू. से 273 ई.पू.
2. चंद्रगुप्त मौर्य की मृत्यु के बाद बिंदुसार ने राजगद्दी हासिल की।
* अशोक :–
1. 273 ई.पू. से 232 ई.पू.
2. बिंदुसार के पश्चात उसका पुत्र अशोक सम्राट बना। जिसके महेंद्र तथा पुत्र संघमित्रा दोनों भाई बहनों ने बौद्ध धर्म का प्रचार करने के लिए श्री लंका गए थे।
* अशोक का धम्म :–
धम्म का तात्पर्य धर्म से है।
अशोक ने धर्म एवं उसके प्रचार-प्रसार हेतु धम्म की स्थापना की ।
* धम्म क्या है :–
1. प्राणियों की हत्या नहीं करना
2. माता पिता की सेवा करना
3. वृद्धों की सेवा करना
4. गुरुजनों का सम्मान करना
5. उच्च विचार रखना
6. दान पुण्य करना।
* कलिंग युद्ध :–
(261 ईसवी पूर्व) 261 ईसवी पूर्व में कलिंग के खाखेल से युद्ध के बाद विजय होने पर भी अशोक ने धर्म परिवर्तन कर लिया था। और कलिंग के लाखों स्त्री-पुरुष मारे गए। इस जनसंहार से अशोक का जीवन परिवर्तन की ओर अग्रसर हो गया।
(adsbygoogle = window.adsbygoogle || []).push({});
* अशोक के अभिलेख :– वर्तमान तक लगभग 40 अभिलेख अशोक के काल के मिले हैं । इन अभिलेखों को 3 वर्गों में विभाजित किया गया है, जो निम्नलिखित है ।
1. शिलालेख —– संख्या– 14
2. स्तंभलेख — संख्या — 6
3 गुहालेख — संख्या — 3
* मौर्य प्रशासन :– मौर्य प्रशासन को निम्न भागों में बांटा जा सकता है।
1 केंद्रीय शासन
2 प्रांतीय शासन
3 नगरीय शासन
4 ग्राम शासन
5 सैन्य शासन
6 न्यायालय
* राजस्व :– राजस्व में भूमिकर उपज का 1 / 6 या 1 /4 होता था।
* राजस्व चार प्रकार का होता था।
1. दुर्ग
2. राष्ट्र
3. सेतु
4. ब्रज
* मौर्यकालीन अर्थव्यवस्था :-
1. कृषि :- यह कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था थी, जिसमें अशोक में सिंचाई हेतु नदियों से नहरे निकलवाई। चंद्रगुप्त मौर्य ने सिंचाई हेतु “सुदर्शन झील” का निर्माण करवाया।
2. पशुपालन :– मौर्य काल में खेती करने के साथ-साथ पशुओं को भी पाला करते थे।
3. व्यापार :– व्यापार आंतरिक तथा बाहरी दोनों थे।
आंतरिक व्यापार के लिए सड़क तथा नदियों का प्रयोग किया जाता था।
मार्ग निर्माण का कार्य “एग्रोनोभाई” नामक अधिकारी करता था।
4. उद्योग :– सबसे ज्यादा कपड़ा उद्योग प्रचलन में था।
मौर्य काल में ‘मलमल’ का कपड़ा विश्व में प्रसिद्ध था ।
5. सिक्के :– बुद्ध काल में पंचमार्क सिक्के (आहत) प्रचलन में थे।
6. सामाजिक जीवन
7. शिक्षा और साहित्य
* भारतीय प्रमुख वंश :–
1 यूनानी
2 शक
3 सातवाहन
4 कुषाण वंश
* कुषाण वंश :– चीन में महान दीवार बनने के कारण हुणों ने अपने पड़ोसी कबीले पर आक्रमण कर पश्चिम की तरफ खदेड़ दिया।
यह पड़ोसी कबीला यूची कहलाता था। कुषाण इसी रुची कबीले में से थे।
* कुषाण वंश का आर्थिक जीवन :–
कुषाण कालीन के अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार रेशम था जो चीन के द्वारा भारत में लाया जाता था।
कुषाणों ने भारत में अत्यधिक मात्रा में सोने के सिक्के बनवाए ।
* कला तथा स्थापत्य :–
1. गंधार शैली :– गंधार शैली का विकास भारत में यूनानीयों तथा रोमन लोगों ने करके शक तथा कुउषाणों ने किया।
2. मथुरा कलाशैली :– कुषाण शासक कनिष्क हविस्क तथा वासुदेव के काल में मथुरा शैली का ज्यादा विकास हुआ।
बहुलायक मात्रा में लाल कलाऊ पत्थरों से इन मूर्तियों का निर्माण किया जाता था।
3. अमरावली शैली :– अमरावली की कला द्वितीय शताब्दी के उत्तराद्ध में कावेरी तथा कृष्णा गोदावरी के नदियों के मुहाने पर विकसित है।
* गुप्त साम्राज्य :– गुप्त साम्राज्य के पहले शासक चंद्रगुप्त प्रथम है।
1. चंद्रगुप्त प्रथम :- चंद्रगुप्त प्रथम 319 ईस्वी से 350 ईस्वी गुप्त वंश का सर्वप्रथम शक्तिशाली शासक चंद्रगुप्त प्रथम थे
2. समुद्रगुप्त पराक्रमांक :– इसने (350 ईस्वी से 375 ईस्वी) तक शासन किया।
समुंद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन कहा जाता है।
3. चंद्रगुप्त द्वितीय( विक्रमादित्य) :–
इसका शासन (375 ईस्वी से 414 ईस्वी) तक रहा।
इसने नागराज कुमारी कुबेर नागा से विवाह किया ।
प्रसिद्ध चीनी यात्री फाह्यान चंद्रगुप्त द्वितीय के शासन में भारत आया था।
* सुदर्शन झील :– चंद्रगुप्त मौर्य ने निर्माण करवाया।
अशोक — मरम्मत करवाई
शक क्षत्रप कद्रदमन — मरम्मत करवाई
स्कंदगुप्त — मरम्मत करवाई।