जैव मंडल और भू-दृश्य
जैव मंडल और भू-दृश्य जहां जीवन विद्यमान है पृथ्वी का वह भाग जैव मंडल कहलाता है।
पृथ्वी की ठोस सतह – स्थलमंडल।
जलीय भाग- जलमंडल।
धरातल से ऊपर वाला हिस्सा जहाँ गैसें पाई जाती है -उसे वायुमंडल कहते हैं ।
जब यह तीनो मंडल एक -दूसरे के संपर्क में आते हैं तो जैव मंडल की रचना होती है।
सूर्य से पृथ्वी को लगातार ऊर्जा प्राप्त होती है।
पृथ्वी पर विशाल मात्रा में जल उपलब्ध है ।
पृथ्वी पर तरल ,गैस, व ठोस पदार्थ के तीनों स्वरुप का एक अच्छा समन्वय है।
जैसे:-
जैवमंडल के दो रूप हैं – वनस्पति जगत और जीवजगत। वनस्पति जगत( पेड़-पौधे, झाड़ियाँ,घासें) जीवजगत -(मनुष्य ,स्थल व जल,वायु में रहने वाले सभी जीव -जंतु इसमे शामिल होते हैं।)
पारितंत्र -जैविक और अजैविक पर्यावरण के पारस्परिक अंतसंबंध को ही पारितंत्र कहते हैं।
पृथ्वी के प्रमुख स्थलरुप -पर्वत, पठार ,मैदान ,नदी बेसिन, समुंद्र ,तटीय मैदान और द्वीप।
पर्वत– जो 600 मीटर से अधिक ऊँचे व सैकड़ों किलोमीटर लंबे होते है उन्हें पर्वत कहा जाता है ।पर्वत नीचे से चौड़े और ऊपर की तरफ संकरे व नुकीले होते हैं। नुकीले भाग को पर्वत की चोटी कहते हैं ।
जैव मंडल और भू-दृश्य
पृथ्वी की सतह पर सबसे ऊँची चोटी माउंट एवरेस्ट है। यह विशालतम पर्वत श्रंखला हिमालय में स्थित है। इसकी उँचाई 8848 मीटर है।
(माउंट एवरेस्ट से भी ऊँची चोटी पृथ्वी पर है, लेकिन वह समुंद्र की तली पर स्थित है) समुंद्र के नीचे भी पर्वत स्थित है । प्रशांत महासागर में मानाकी पर्वत समुंद्र की तली से 10205 मीटर ऊंचा है, लेकिन इसका अधिकांश भाग समुंद्र में डूबा हुआ है।
पर्वतों की जलवायु आसपास के क्षेत्रो से ठंडी होती है। वहाँ ऊँचाई के साथ-साथ तापमान गिरता रहता है।
पर्वतों कि जिस तरफ बादल वर्षा करते हैं ,उसे पवनमुखी भाग कहते हैं । दूसरी तरफ के भाग को पवनविमुखी भाग कहते हैं ।यहाँ वर्षा कम होती है इसलिए इसे वृष्टि छाया प्रदेश कहते हैं।
हिमालय में गद्दी, बकरवाल व भोटियां जनजातियां भी रहती है जो वहाँ मौसमी प्रवास करती हैं।
पठार — कम डाल वाले सूची एवं चौड़े भूभाग जो ऊपर से समतल होते हैं वह पठार कहलाते हैं पठार का उपयोग चारागाह ओके रूप में किया जाता है भारत में दक्कन का पठार एवं छोटा नागपुर का पता था कृषि भी की जाती है पधारो में खनिजों के भंडार अधिक खोते हैं जिसे लोहा कोयला आधी
मेदान सामान्यतः समतल भूभाग को मैदान कहां जाता है औसत समुद्र तल चीन की ऊंचाई 300 मीटर से कम होती है प्रथ्वी की कुल इसलिए भागती सकता है कि क्लब का विभाग पर मैदान पाए जाते हैं यह नदियों द्वारा बहाकर लाई गई मृदा के जमने से इन का निर्माण होता है इसी कारण यह अधिक उपजाऊ होते हैं यहां कृषि अधिक मात्रा में होती है भारत में गंगा ब्रम्हपुत्र के विचार में डांस का अच्छा उदाहरण है मेदान दो तरह ज्योति है तटीय मैदान और आंतरिक मैदान तटीय मैदान जो समुंद्र के किनारे होते हैं और आंतरिक विधान जो मुख्य भूमि पर मध्य द्वारा स्वीटी संक्षेप करने से बनते हैं
नदी बेसिन प्राकृतिक रुप से एक धारा के रूप में बहने वाले जल को नदी कहा जाता है जो हमेशा ढाल से ऊपर से नीचे बहती है नदी की उत्पत्ति गाड़ी से तो से फिर मैदान में यहां आती है और अंत में सागर झील में मिल जाती है कुछ इंडिया वश सुपर बहती है उन्हें सदा भाई newz और नित्य वाहिनी नदियां कहते हैं इनमें जलना कल वर्षा से बल्कि पर्वतों खजनी बस के पिघलने से भी मिलता है जैसी गंगा यमुना आधी जो नदिया केवल वर्षा रितु नहीं देती है इन्हें मौसमी नदियां कहते हैं पश्चिमी राजस्थान बहने वाली लूनी नदी इसका उदाहरण है कह दिया आसपास की शेरों से आकर मुख्य नदी में मिल जाती है इन्हें सहायक नदियां का चाहता है स्थल का गर्व गुफा का मुख्य नदी और उसकी 7:00 बजे जाती है वह शेत्र नदी देसी फैलाता है
भारत के उत्तरी मैदान में बहने वाली गंगा नदी में घुस की सहायक नदियां जैसे यमुना चंबल सोना दिव्य कराती है वह समस्त स्थान जहां से गंगा नदी में पानी बह कर आता है वह गंगा बेसिन कहलाता है छोटी छोटी सा ग्रुप से मिलकर महासागरों का निर्माण होता है जो अत्यंत विशाल होते हैं पृथ्वी पर मुक्के चार महासागर है प्रशांत महासागर अटलांटिक महासागर हिंद महासागर आर्कटिक महासागर जलेबी धरातल की तरह स्थल के कई रुप पाए जाते हैं जैसी पर्वत पठार निदान खाया आदि समझो के किनारे स्थित स्थल को पत कहते हैं ड्रिप एक ऐसा इसलिए भाग जो चारों ओर से जल से गिरा हो उसे जीप कहते हैं यह महा दीपों से छोटा होता है यह नदी तालाब समुंद्र महासागर कहीं भी स्थित हो सकता है जैसे अंडमान निकोबार समूह लक्ष्य दीप आदि असम में बहने वाली ब्रम्हपुत्र नदी में स्थित मां जूली द्वीप नदी में स्थित विश्व का सबसे बड़ा ड्रिप है जो स्थान तीन तरफ से पानी से गिरा हो ऐसे स्थानों को प्राइज करते हैं दक्षिण भारत भी एक प्राय द्वीप है पृथ्वी का वह भाग जहां जीवन है उसे जैव मंडल कहते हैं जैविक तथा अजैविक पर्यावरण का पारस्परिक अंतर संबंध पारी तंत्र कहलाता है
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