भारतीय अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियां
मूल्य वृद्धि या मुद्रास्फीति से क्या तात्पर्य है
सामान्य कीमत स्तर में स्त्त वृद्धि की स्थिति मुद्रास्फ़ीति कहलाती है मुद्रास्फीति का संबंध अर्थव्यवस्था में अनेक वास्तु औसत स्तर मे वृद्धि से है ना कि किसी एक वस्तु की कीमत में वृद्धि मात्र से है
कीमत किसे कहते हैं
मौद्रिक अर्थव्यवस्था में किसी वस्तु या सेवा की इकाई का मुद्रा की जितनी इकाइयों के साथ के विनिमय होता है वह उस वस्तु अथवा सेवा की कीमत कहलाती है
सामान्य कीमत स्तर से क्या तात्पर्य है
सामान्य कीमत स्तर का तात्पर्य अनेक वस्तुओं या एक वस्तु समूह की कीमतों के औसत स्तर से है अतः सामान्य कीमत स्टार किसी एक वस्तु की कीमत को नहीं बताता अपितु यह तो एक निश्चित वस्तु समूह की और सब कीमत को व्यक्त करता है
मुद्रास्फ़ीति का माप क्या है
सभी अर्थव्यवस्था एवं मुद्रास्फ़ीति की डर के मापन हेतु विभिन्न प्रकार के कीमत सूचकांक बनती है सूचकांक में थोक मूल्य सूचकांक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक तथा राष्ट्रीय आय अवस्फीति कारक प्रमुख है मुद्रास्फीति को किसी निर्धारित कीमत सूचकांक में समय के होने वाले अनुपातिक परिवर्तन या प्रतिशत परिवर्तन से मापा जाता है सूचकांक अलग-अलग पैमाने पर मापने का योग का औसत व्यक्त करते हैं सूचकांक दिए गए आधार के सापेक्ष किसी कर के आकार में परिवर्तन को दर्शाते हैं
भारत में मुद्रास्फीति क्या है
भारत में मुद्रास्फीति की दर को सामान्यतः थोक मूल्य सूचकांक से मापा जाता है 1950ई. के दशक में मुद्रास्फीति की औसत दर मात्र 1.7% थी लेकिन 1960 के दशक में यह 6.4% हो गई तारा के दशक में यह 9% से ऊपर पहुंच गई ऊंची मुद्रास्फीति का यह दौर 1995ई. तक चलता रहा वर्ष 2000–01 से 2011–12 के मध्य लगभग 4.7% बनी रहीं
मुद्रा के मूल्य से क्या तात्पर्य है
मुद्रा के मूल्य का तात्पर्य मुद्रा की क्रय शक्ति से है जो की मुद्रा द्वारा वस्तुओं और सेवाओं को क्रय करने की क्षमता को बताता है
मुद्रास्फीति से कौन-कौन से हानियां होती है
- मुद्रास्फीति के कारण मुद्रा की एक निश्चित मात्रा से पूर्व के वर्षों की तुलना में कम मात्रा में वास्तु और सेवाएं खरीदी जा सकती है
- राष्ट्रपति के कारण निश्चित वेतन तथा मजदूरी प्राप्त करने वाले वर्ग को भी हानि होती है
- मुद्रास्फीति को अन्य पूर्ण माना जाता है इससे बचत करता की बचत का मूल्य तथा ऋणी को मुद्रास्फीति से लाभ होता है क्योंकि उसे मूल्य वाली मुद्रा वापस चुकानी होती है
- मुद्रास्फीति का प्रभाव आर्थिक विकास की दर्द गरीबी बेरोजगारी आय एवं धर्म के वितरण आदि पर भी पड़ता है
मुद्रास्फीति विकास के लाभों को समाप्त कर देती है अतः किस नियंत्रण में रखे जाने की आवश्यकता होती है
समग्र मांग क्या है
एक देश में उत्पादीत अंतिम वस्तुओं और सेवाओं पर प्रत्याशित व्यय का योग समग्र मांग कहलाता है
मांग प्रेरित मुद्रास्फीति किसे कहते हैं
समग्र मांग में वृद्धि के कारण जब मुद्रा स्थिति बढ़ती है तो उसे मांग प्रेरित मुद्रा स्थिति कहते हैं
लागत प्रेरित मुद्रास्फीति किसे कहते हैं
नागदोन में वर्दी के कारण समग्र पूर्ति में गिरावट से जो मुद्रा स्थिति उत्पन्न होती है सर लागत प्रेरित मुद्रा स्थिति कहते हैं
मुद्रास्फीति के प्रमुख कारण कौन-कौन से हैं
- मुद्रा की पूर्ति में तेज वृद्धि
- औद्योगिक तथा कृषिगत उत्पादन में धीमी वृद्धि
- सार्वजनिक व्यय का उच्च स्तर
- अन्य कारण
मुद्रास्फीति के नियंत्रण के उपाय कौन-कौन से हैं
- मौद्रिक उपाय
- राजकोषीय उपाय
गरीबी क्या है
गरीबी वह स्थित है जिसमें व्यक्ति जीवन निर्वाह न्यूनतम आवश्यकता ऑन को पूरा करने में भी असफल हो जाता है गरीबी एक व्यापक अवधारणा है इसके अनेक आयाम है लेकिन सामान्य तौर पर गरीबी शब्द का तात्पर्य है आर्थिक वचन से लिया जाता है अतः धन तथा संपदा के अभाव को गरीबी कहा जाता है
गरीबी कितने प्रकार की है समझाइए
- निरपेक्ष गरीबी–यह वह स्थित है जिसमें व्यक्ति अपने जीवन की न्यूनतम भाव को भी पूरा नहीं कर पाता निष्पक्ष गरीबों का विचार अविकसित रसों में अधिक उपयोगी है तो इसका तात्पर्य निरपेक्ष गरीबी से ही होता है
- सापेक्ष गरीबी–समाज राष्ट्र के विभिन्न वर्गों के बीच आए या धन या उपभोग वेज के वितरण में सापेक्षिक असमानता का मैप सापेक्ष गरीबी कहलाती है
रिकाल अवधि क्या है
गरीबों का आकलन में हनुमान हेतु किए जाने वाले संपर्कों के संकलन में दो प्रकार की रिकाल अवधि का उपयोग किया जाता है समान रिकॉल अवधि में 30 दिन की अवधि के लिए उपभोग के संपर्क एकत्र किए जाते हैं मिश्रित रिकाल अवधि मैं खाद्यान्न तथा गैर खाद्यान्न वस्तुओं पर उसको वह के संपर्क एकत्र करने के लिए दो अलग-अलग संदर्भ अवधियों का संयुक्त रूप से प्रयोग किया जाता है
गरीबी के मुख्य कारण कौन-कौन से हैं
- सामाजिक कारण
- आर्थिक कारण
- राजनीतिक कारण
गरीबों के निवारण के उपाय कौन-कौन से हैं
- शिक्षा तथा स्वास्थ्य सेवाओं का प्रसार
- रोजगार के अवसरों में वृद्धि
- सामाजिक कृप्रथाओ पर नियंत्रण की आवश्यकता
- जनसंख्या पर नियंत्रण
- लक्षित व्यक्ति या समूह तक लाभों को पहुंचाना
बेरोजगार से क्या तात्पर्य है
प्रचलित मजदूरी की दरों पर कार्य करने के इच्छुक व्यक्ति को उसकी योग्यता के अनुसार कार्य नहीं मिलने पर वह बेरोजगार कहलाता है
बेरोजगारी के निम्न प्रकार कौन-कौन से हैं
- मौसमीबेरोजगारी
- संरचनात्मक बेरोजगारी
- तकनीकी बेरोजगारी
- रचनात्मक बेरोजगारी
- चक्रीय बेरोजगारी
- छिपी हुई या प्रच्छन बेरोजगारी
बेरोजगारी के कारण लिखिए
- रोजगारपरक शिक्षा एवं प्रशिक्षण का अभाव
- बढ़ती जनसंख्या तथा श्रम शक्ति
- अनुपयुक्त तकनीक
- कृषि का पिछड़ापन
- राजनीतिक इच्छा शक्ति एवं व्यवस्थित नियोजन का भाव
बेरोजगारी निवारण के उपाय बताइए
- सरकार द्वारा चलाए जा रहे मजदूरी एवं रोजगार कार्यक्रमों में उचित सामान्य न्यूनतम रिसाव हो
- शिक्षा को रोजगारपरक बनाया जाए तथा युवाओं को प्रशिक्षण एवं कौशल विकास के माध्यम से स्वरोजगार हेतु प्रोत्साहित किया जाए
- विकास के साथ-साथ कृषि से मुक्त होने वाले अधिवय श्रम को खपाने के लिए उद्योगों की वृद्धि दर को तेज किया जाए।