ध्वनि 

कक्षा 10 विज्ञान ध्वनि 

Q1 ध्वनि तरंग के अभी लक्षण कौन-कौन से हैं? 

उ     आवर्ती, आयाम, वेग

Q2 आवर्तकाल किसे कहते हैं? मात्रक बताओ? 

उ 1 दो क्रमागत संपूर्ण या दो क्रमागत विरलनो को निश्चित बिंदु से गुजरने में लगे समय को तरंग का आवर्तकाल कहते हैं 

2 अन्य शब्दों में माध्यम के कणों द्वारा एक दोलन पूर्ण करने में लगा समय आवर्तकाल कहलाता है 

मात्रक – आवर्तकाल का S.I. मात्रक  s सेकंड होता है

Q3 आवर्ती किसे कहते हैं? इसका मात्रक बताओ?

उ एक अंक समय में किए गए कंपनियां या दोनों की संख्या ध्वनि तरंग आवर्ती कहलाती है। 

इसे      से प्रदर्शित करते हैं 

इसका  S.I.मात्रक Hz हर्टज्  है। 

Q 4 आयाम किसे कहते हैं? 

उ मूल स्थिति में माध्यम के विक्षोभ का अधिकतम विस्थापन आयाम कहलाता है इसे A से प्रदर्शित करते हैं। 

Q 5 तारत्व क्या है? यह किस पर निर्भर करता है?

उ तारत्व ध्वनि का यह गुण है जिसके कारण ध्वनि बारीक अथवा मोटे सुनाई पड़ती है तत्व को मापा नहीं जा सकता है परंतु अनुभव नहीं किया जा सकता है। 

उदाहरण =1

तारत्व ध्वनि की आवर्ती पर निर्भर करता है उच्च आवृति की ध्वनि का तारातत्व ऊंचा होता है तथा यह ध्वनि बारीक सुनाई पड़ती है इसके विपरीत निम्न आवर्ती की ध्वनि का कारक हुआ माप नीचे होता है यह ध्वनि मोटी सुनाई देती है। 

उदाहरण=2

मच्छर की भिन्न-भिन्नाहट का  तारत्व ऊंचा होता है तथा शेर की तारत्व निचा होता है। 

चमगादड़ रात्रि में कैसे उड़ सकता है 

चमगादड़ अंधेरे में भोजन को खोजने के लिए उड़ते समय पराध्वनि तरंगे उत्सर्जित करके परावर्तन के समय इनका संसूचन करता है चमगादड़ द्वारा उत्पन्न उच्च तारत्व के पराध्वनी स्पंद और दो या कीटों से टकराकर उसे प्रवर्तन होकर चमगादड़ के कान तक पहुंचती है इससे चमगादड़ जो देखा नहीं सकते उनको अवरोध तथा कीट का पता लग जाता है 

सोनार क्या है पूरा नाम बताते हुए इसकी क्रियाविधि सचित्र स्पष्ट करें 

सोनार= यह एक ऐसी युक्ति है जिसमें जल में स्थित विंडो की दूरी निशा तथा चाल मापने के लिए पराध्वनि तरंगों का उपयोग किया जाता है। 

नाम= sound navigation and ranging.  

कार्य विधि=सोनार में एक प्रसिद्ध तथा एक सम सूचक होता है और इस चित्र अनुसार किसी नव या जहाज में लगाया जाता है प्रसिद्ध द्वारा उत्पन्न पराधानी तरंगे जल में गमन करती है तथा समुद्र तल में पिंड से टकराने के पश्चात परावर्तित होकर सन्सूचक द्वारा ग्रहण कर ली जाती है संसूचक पराध्वनि है तरंगों को विद्युत संकेतों मैं बदल देती है ध्वनि की चाल तथा पराध्वनि का प्रेषण तथा अभिर्गहण के समय अंतराल को ज्ञात करके उसे पिंड की दूरी की गणना की जा सकती है जिससे ध्वनि तरंग परावर्तित हुई है

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